पूंजी बनाने व पूंजीपतियों के लिए कर्पूरी राजनीति नहीं करते थे

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  • विशद कुमार
बहुजन नायक कर्पूरी ठाकुर को परिनिर्वाण दिवस पर जगह-जगह श्रद्धांजलि देने के साथ किसान आंदोलन के साथ एकजुटता में 12वें दिन सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) और बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के बैनर तले ‘शहीद जगदेव – कर्पूरी संदेश यात्रा’ जारी रही।    भागलपुर के शाहकुंड प्रखंड के जगरीया, झंडापुर, केशोपुर, सुलतानपुर, चांदनी चौक, नियामतपुर, बलिया, अम्बा,शिवशंकरपुर आदि गांवों में ग्रामीणों से संवाद हुआ व सभाएं हुईं।
सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के रामानंद पासवान और रंजन कुमार दास ने कहा कि बहुजन नायक कर्पूरी ठाकुर ने अंग्रेजी की अनिवार्यता और स्कूलों में ट्युशन फीस को समाप्त कर किसान-मजदूरों के बच्चों के लिए शिक्षा को आसान बनाया। अंग्रेजी और फीस के कारण पढाई में होने वाली बाधा खत्म कर दी। दलित – पिछड़े तबकों और स्त्रियों के लिए शिक्षा का रास्ता खुला। लेकिन अब शिक्षा के निजीकरण के जरिए फिर से दलितों-पिछड़ों व स्त्रियों के लिए शिक्षा हासिल करने का रास्ता बंद किया जा रहा है।
सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के डा. अंजनी और बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के मिथिलेश विश्वास ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने अपने समय में मुंगेरीलाल आयोग की सिफारिशों को लागू कर सरकारी नौकरियों में पिछड़े तबकों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने का साहसिक काम किया था। उनके वारिस होने का दावा करने वाले 30 वर्षों से बिहार की सरकार चला रहे हैं, लेकिन आबादी के अनुपात में पिछड़ों को आरक्षण दिलाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं कर पाये।  सत्ता व विपक्ष में उनके वारिस होने का दावा करने वाले हैं और एससी, एसटी व ओबीसी के आरक्षण पर चौतरफा हमला जारी है।
सुनील दास ने कहा कि आज कर्पूरी ठाकुर होते तो वे कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की लड़ाई में सड़क पर मोर्चे पर होते।न ही वे  कुर्सी से चिपके रहते और न ही केवल कुर्सी के लिए बेचैन नजर आते। पूंजी बनाने व पूंजीपतियों के लिए कर्पूरी राजनीति नहीं करते थे। यात्रा में सुनील दास, धनन्जय दास, विभीषण दास, शालीग्राम मांझी, बिट्टू कुमार, अर्जुन यादव सहित कई अन्य शामिल थे।

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