पदयात्रा का पहला दिन- | पदयात्रा का दूसरा दिन – | पदयात्रा का तीसरा दिन – दिनांक-26 मार्च 2022, दिन शनिवार | दिनांक – 27 मार्च 2022, दिन रविवार दिनांक – 28 मार्च 2022, दिन सोमवार स्थान-आधौर से ताला तक स्थान – करर से सुमरा नदी तक स्थान – सीवों से कलेक्ट्रीएट तक समय – सुबह 5 बजे से सुबह 10 बजे तक समय – सुबह 4 बजे से 10 बजे तक समय – सुबह 8 बजे से सुबह 10 बजे तक (ताला से कर तक समय- (सुअरा नदी से सीवों तक समय
(सभा का समय – शाम 3 बजे से शाम 6 बजे तक 10 बजे सुबह से शाम 4 बजे तक प्रिय भाइयो एवं बानो,
जैसे-जैसे कैमूर मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में बाघ अभ्यारण्य के खिलाफ आन्दोलन आगे बढ़ रहा है। वैस-वैसे वन विभाग भी जनता को गुमराहकरने के लिए डीएफओ के नेतृत्व में जगह-जगहमीटिंग कर रहा है। वन विभाग जन प्रतिनिधियों के माध्यम से जनता को यहसमझाने की कोशिशकर रहा है कि जंगल में 50 बाप और आदमी साथ-साथ रहसकते हैं। वन विभाग यह बताते हुए नहीं धक रहा है कि जंगल आदिवासियों कानहीं बल्किवन विभाग का है। वन विभाग जैसे चाहेगा वैसे ही आदिवासियों, गैर-आदिवासियों को कैमूर पठार पर रहना होगा। चाहेमहुआ, पियार, अंगी आदि चुनना होगा लकड़ी लेना हो, सबकुछ अब जनता को वन विभाग की अनुमति से ही करना होगा। यानी जंगल पर पूरा कब्जा अब सेवन विभागका होगा। लेकिन हमारायहमानना है कि जंगल में जब हमलोगहजारों साल से रहते आये हैं ,जंगल की रक्षा भी हम लोगों ने ही की हैतोमालिक भी हमलोगही हैं। वन विभागयहतय करनेवाला कौन हैकिवन उत्पादों को हम लोग कितनी मात्रा में कहाँ सेचुन सकते हैं और कहाँ से नहीं चुन सकते हैंयाकिसकोबेच सकते हैंया किसको नहीं बेच सकते हैं? चूंकि भारतीय संविधान में भी आदिवासी बाहुल्य इलाकों के लिएपांचवी अनुसूची और पेशाकानून बनाया गया है। इसके अन्तर्गत आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर नियंत्रण और स्वशासन का पूरा अधिकार दिया गया है। इस कानून के अन्तर्गत ग्राम सभाको सर्वोपरी माना गया है। यानी की बिना परंपरागत ग्राम सभाकी अनुमति के सरकारी या गैर-सरकारी संगठन, पार्टी, नेता, मंत्री, पुलिस, वन, रक्षी आदि कोई भी बाहरी अगर ग्रामसभा के सीवान में घुसता है तो वह इस कानून के जात अपराधी माना जाएगा और परंपरागत ग्राम सभा में उस पर मुकदमा चलेगा। बनाधिकार कानून 2006 में भी आदिवासियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों को जल-जंगल-जमीन पर पूरा अधिकार दिया गया है। जिसको आज तक जमीन पर लागू ही नहीं किया गया। अतः संविधान कै तहत यहाँ कलोग ही यतषकरेंगे कि जंगल में उन कैसे रहना है ना कि वन विभाग। ।
साथियों डीएफओकाकहना है कि बाय अभ्यारण्य के अन्तर्गत कोई भीगाँव हटाया नहीं जाता है। लेकिन यह बात सरासर गलत है। देश मबहल से ऐसे टाईगर रिजर्व है, जहाँ से गाँवों को विस्थापित किया गया और किया जा रहा है- जैसे अचानक मार्ग (अमरकंटक, सीमगत टाईगा प्रोजेक्ट के अंतर्गत 200 गाँवों का विस्थापन का काम चल रहा है, संजय गांधी टाईगर रिजर्व सिधी (मध्यप्रदेश) से 50 गांवों का विस्थापन होरहा.मकन्दराटाईगर रिजर्व (राजस्थान) से 13 गांवों का विस्थापन हो रहा है, पन्नाटाईगर रिजर्व (मध्यप्रदेश) से भी कई गांवों का विमानहाहाहन सकईएसेटाइगर रिजर्व हजो पांचवी अनुसूची और पेशा कानून के क्षेत्र में आते हैं। पांचवी असमची और पेशा कानन में पायथागत साम सभा की सर्वोच्च मानी गयी है। लेकिन सरकार ने इस कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए विना ग्राम सभा के अनुमति के ही यहाँ डामर प्रोजेक्ट लागू कर दिया।जो की पूरी तरहसे गैर-संवैधानिक है। विस्थापित परिवारों को न तो ठीक से बसाया गया है तो मुआवजा ही पर्याप्त मिला।
जैसा कि आप सबजानते हैं। पूरे कैमूरपठार कोबाप अभ्यारण्य चोषित कर दिया गया है। जिसकी खबर पर कुछ दिनों से अखबारों में
नगातार आरही है। इसके बाद से जनता के साथ मारपीट करना, जलावन की या अन्य लकड़ी जब्त कर लेना, खेतीयोग्य जमीन पर कब्जा कर लेना। वन विभाग के लिए आप बात हो गयी है। जिसे हम निम्नलिखित घटनाओं में देख सकते हैं जैसे अमवा टांड,सरईनार, सोताबोरा टोला, दिपार आदि गांवों के कुछ लोग पीढ़ियों से खेतीबारी कर रहे थे, उस पर वन विभाग ने ये कहते हुए कब्जा कर लिया कि ये जमीन उसकी है और उस पर वृक्षारोपण (झाड़ीनुमा पौधा) कर दिया और उनके घर भी गिरा दिया ताकि वे लोग दोबारावहाँ खेती ना कर सकें और न ही बस सके। ग्राम सोढ़ा में अगरिया समुदाय के एक घर में घुसकर वन विभाग के सिपाहियों ने महिलाओं के साथ दुर्व्यहार किया है। ऐसे ही एक घटना है। बाडिहां गांव की है जहाँ लाली बिहारी सिंह और एक वहीं के अन्य आदमी के साथ 10 बजे रात में जब वो लोग ट्रैक्टर लेकर किसी काम से बड़गांव जा रहे थे तो वन विभाग के सिपाहियों और पुलिस ने उन्हें लकड़ी चोरी के शक में पकड़ लिया। उनके साथ बुरी तरहसे मारपीट किया गया। लेकिन जब वे लोग वन विभाग के सामने नहीं झुके तो अन्त में उन लोगों ने 3 बजे राम में वन विभाग के सिपाहियों ने ओखड़गड़ा लोकर छोड़ दिया। इसी तरहबरकट्टा के सुरेश सिंह के साथ भी वन विभाग के लोगों ने मारपीट किया है। उनकी टांगी भी छीन ले गये हैं। लोहरा बाना भी अबवन विभाग के साथ मिलकर जनता पर दबाव बनाने लगा है। कदहर में लोहरा थाना और वन विभाग ने वहाँ की नदियों में मछली मारने से मना किया है। टांगी छीनने की तो सैकड़ों घटनाएं हैं। इससे पता चलता है कि कैमूर पठार की जनता को अपराधी बना दिया गया है। कौन कब पकड़ा जाएगाइसका डर सबकोलगारहता है।
अखबारों से मिली जानकारी के अनुसार बाघ अभ्यारण्य के लिये दो प्रकार का एरिया चयनित किया गया है। पहला’कोर एरिया’है| जो 450 वर्ग किलोमीटर का होगा। यहबाघ अभ्यारण्य का मुख्य इलाका होगा। इसमें पड़ने वाले सभी गांवों को किसीन किसी बहाने आजनहीं तोकल हटाया ही जायेगा। इस पूरे इलाके की घेराबन्दी की जायेगी। दूसरा एरिया’बफर जोन” होगा जिसका एरिया 850 वर्ग किलोमीटर का होगा। इसमें शुरू में तो गाँवों को नहीं हटाया जायेगा। लेकिन जंगल में घुसने पर तत्काल प्रतिबन्ध लगा दिया जायेगा। साथियों वक्त आ गया है कि हम राज्य और केन्द्र सरकार की इस विनाशकारी परियोजना के खिलाफएकजूट हो। बाघ अभ्यारण्य के खिलाफ इस लड़ाई में अपनी कमर कस लें। चूंकि बाघ अभ्यारण्य के नाम पर सरकार वन विभाग के माध्यम से आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन पर कब्जा करना चाहती है। ताकि उसे कौडियों के भाव पंजीपतियों को बेच सकों अब अगर हम आज नहीं लड़ेंगे तो कल लड़ने लायक ही नहीं बचेंगे। दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हो जायेंगे। कैमूर मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में 52 किलोमीटर लम्बी एक पदयात्रा एवं धरना का आयोजन (दिनांक 26-28 मार्च 2022 तक) किया गया है। हम कैमूर पठार तथा देश के सभी आदिवासी, गैर आदिवासी, छात्रों, नौजवानों, बुद्धिजीवियों व पत्रकारों से यह अपील करते हैं कि भारी से भारी संख्या में इस पदयात्रा में शामिल हों और भभुआ में आकर इस प्रतिरोध मार्च एवं धरना को सफल बनायें। ताकि हम बड़ी लडाई के लिए अपने को तैयार कर सकें। क्योंकि आज अगर जंगल-पहाड़ नहीं बचे तो इस धरती पर कोई नहीं बचेगा। अन्त में आप सभी जनता से अपील है कि इस प्रतिरोध मार्च और धरना में अपने परंपरागत हथियार जैसे-टांगी-तीर-धनुष, बलहा आदि अवश्य लेकर आयें क्योंकि यही हमारी पहचान औरवनविभागहमारे परंपरागत हथियारों को छीनकरहमारी इसीपहचान पर हमला कर रहा है। नोट – 25 मार्च की शाम तक सभी लोगों को अधौरा जुटना है। खाना बनाने और खाने के लिए अपना-अपना बर्तन और राशन अवश्य लेकर आये जो लोग पदयात्रा में किसी कारणवश भाग नहीं ले पायेंगे वो 28 मार्च को सुबह 8 बजे (सीवों, भभुआ) जुलूस में शामिल होने के लिए जरूर पहुंचे। हमारीमाँगे
कमरपवार सेवन सेंच्युरी (वन्य जीव अभ्यारण्य) और बाघ अभ्यारण्य को तत्कालखत्म करो। प्रस्तावित भारतीय वनाधिकार कानून 2019 को तत्काल वापस लो।
बनाधिकार कानून 2006 को तत्काल प्रभाव से लागूकरो।। ककैमूर पहाड़ का प्रशासनिक पुनर्गठन करते हुए पांचवीं अनुसूची क्षेत्र घोषित करो। 5) छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम को लागूकरो।। पेशाकानूनको तत्काल प्रभाव से लागू करो।
इसी के साथ आप सभी को हुल जोहार !
कैमूर मुक्ति मोर्चा सम्पर्क सूत्र : 9472968697, 9471069417