झारखंड के मनरेगा कर्मियों के समर्थन में पूरे देश भर के मनरेगा कर्मियों ने किया दो दिवसिय कलमबंद हड़ताल

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* विशद कुमार

बुधवार को राज्यभर के मनरेगा कर्मचारी 31 वें दिन लगातार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे रहे। राज्य भर के सभी मनरेगा कर्मियों ने अपने अपने जिला मुख्यालय में एकत्रित होकर हाथों में तख्ती लेकर नारेबाजी किए तथा एक मानव श्रृंखला बना कर सरकार के प्रति विरोध प्रदर्शन किया। विदित हो कि झारखंड में चल रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल के समर्थन में दिनांक 26 एवं 27 अगस्त को पूरे भारतवर्ष के सभी राज्यों के मनरेगा कर्मियों ने दो दिनों का कलम बंद हड़ताल किया है। अब यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी बन गया है, आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी व्यापक होगा, अन्य कर्मचारी संगठन भी हमारे संपर्क में है, जो मनरेगा कर्मचारी संघ का समर्थन करना चाहते हैं। संघ ने कहा कि मनरेगा कर्मचारी संघ द्वारा बार-बार सकारात्मक वार्ता के लिए सरकार तथा विभाग से आग्रह किया जा रहा है, किंतु विभागीय अधिकारियों के हठधर्मिता एवं अड़ियल रवैया के वजह से अभी तक सकारात्मक वार्ता नहीं हो पायी है। विभागीय अधिकारियों द्वारा शुरू से ही आंदोलन को कुचलने का काम किया गया है। बर्खास्तगी की धमकी तथा अल्टीमेटम भी दिया गया है।

विदित हो कि झारखंड में चल रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल के समर्थन में दिनांक 26 एवं 27 अगस्त को पूरे भारतवर्ष के सभी राज्यों के मनरेगा कर्मियों ने दो दिनों का कलम बंद हड़ताल किया है।

संघ ने विभाग पर आरोप लगाते हुए कहा है कि हड़ताल के दौरान मनरेगा कर्मियों को डराने के लिए संघ के प्रदेश अध्यक्ष तथा धनबाद के जिला अध्यक्ष को बर्खास्त कर दिया गया। हड़ताल के दौरान यह कार्रवाई गलत मंशा से आंदोलन को कमजोर करने के उद्देश्य से किया गया है। लेकिन सरकार के इन पैतरों से मनरेगा कर्मी तनिक भी भयभीत नहीं हैं। इस बार आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए कमर कस लिए हैं।
विभाग अपने नापाक इरादों में कभी कामयाब नहीं होगी।
संघ के प्रदेश सचिव जॉन पीटर बागे कहते हैं कि मनरेगा कर्मी असली झारखंडी हैं, ये डरने वाले नहीं, लड़ने वाले हैं। विभागीय अधिकारी अखबार में आकस्मिकता मद से सम्बंधित बेतुका बयान देकर मनरेगा कर्मियों और सरकार दोनों को गुमराह करने का काम कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि पिछले 3 वर्षों में आकास्मिता मद का केवल 36 से 65 प्रतिशत ही मनरेगा कर्मियों की सैलरी में खर्च हुआ है। इस तरह केवल आकास्मिता मद से ही मनरेगा कर्मियों का वेतन दुगुना किया जा सकता है। आकस्मिकता मद का मुद्दा मनरेगा कर्मियों के स्थाईकरण के मुद्दे से भटकाने का प्रयास है, परंतु संघ का कहना है कि हमारा हड़ताल अपने मुख्य मांगों की पूर्ति के लिए है, जिसमें स्थाईकरण और सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। 13 वर्षो से मनरेगा और ग्रामीण विकास के अन्य कार्यो को करने के बाद सरकार को चाहिए कि जल्द ही सभी मनरेगा कर्मी को स्थायी करे।


विभागीय पदाधिकारियों द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि मनरेगा कर्मियों के हड़ताल से मजदूरों को कार्य देने में कोई समस्या नहीं आ रही है। इस पर बागे का कहना है कि राज्य भर में वास्तविक मजदूरों को कार्य देने में 60 से 70 प्रतिशत की गिरावट आई है। विभागीय दबाव से केवल मनरेगा सॉफ्ट में मजदूरों का डिमांड कराया जा रहा है। परंतु वास्तविक मजदूर नहीं रहने के कारण मानव दिवस का सृजन नहीं हो रहा है। ऑनलाइन प्रतिवेदन से ज्ञात होता है कि जुलाई 2020 में (जब मनरेगा कर्मी हड़ताल में नहीं थे) पूरे राज्य में लगभग 94 लाख मानव दिवस का सृजन किया गया था, परंतु अगस्त 2020 में आज तक लगभग 27 लाख मानवदिवस का सृजन हुआ है। यह दर्शाता है कि केवल एक महीने में मानव दिवस के सृजन में लगभग 70 प्रतिशत की गिरावट आई है। इससे यह भी साबित होता है कि विभाग के दबाव में अधिनस्थ कर्मियों / पदाधिकारियों द्वारा केवल आंकड़ा दिखाने के लिए फर्जी डिमांड कराया जा रहा है।
बागे ने बताया कि मीडिया के माध्यम से माननीय ग्रामीण विकास मंत्री का बयान आया है कि 01.09.20 को मनरेगा कर्मियों के साथ वार्ता करेंगे, हम इसका स्वागत करते हैं। परंतु जब तक सकारात्मक वार्ता नहीं हो जाती है, तब तक राज्य भर के मनरेगा कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे रहेंगे।
इधर बोकारो जिला अध्यक्ष सह राज्य कार्यकारिणी सदस्य सैयद नन्हे परवेज़ ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि स्थायीकरण, वेतनमान, ग्रेड पे,  बर्खास्तगी, सामाजिक सुरक्षा आदि पांच सूत्री मांगों के समर्थन में विगत 27 जुलाई से चल रहे झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ का अनिश्चितकालीन हड़ताल के समर्थन में अखिल भारतीय मनरेगा कर्मचारी संघ, दिल्ली के आहवान पर 26 एवं 27 अगस्त को दो दिन सांकेतिक हड़ताल की  घोषणा किया है, जिसके आज सभी राज्यों में सांकेतिक हड़ताल के प्रथम दिन सभी जगह विरोध, धरना, मानव श्रृंखला आदि का कार्यक्रम किया गया। चूंकि झारखंड में अनिश्चितकालीन हड़ताल पहले से चल रहा है, सभी कर्मी हड़ताल के दौरान कार्य बहिष्कार किए हुये हैं। अल्प मानदेय पर कार्यरत मनरेगा कर्मी एवं पदाधिकारी बिना सामाजिक सुरक्षा, बीमा, ईपीएफ आदि के राज्य एवं केन्द्र की योजनाओं को सफलतापूर्वक धरातल पर उतरने का कार्य कर रहे हैं। राज्य सरकार तेरह वर्षों से शोषण कर बंधुआ मजदूरों की तरह काम लें रही है। सरकारें आती जाती रहती हैं, परन्तु मनरेगा कर्मियों की समस्याएं यथावत हैं।

मनरेगा कर्मियों की दुर्दशा किसी को नजर नहीं आती है, ना राज्य सरकार को, ना केंद्र सरकार को, ना वरीय पदाधिकारियों को, ना विधायिका को, ना कार्यपालिका को, ना ही न्यायपालिका को। यह कानूनी अपराध से कम नहीं है कि छह लाख पंचायतों में मनरेगा में रोज़गार उपलब्ध कराने वाले कर्मियों को अपनें रोज़गार की गारंटी नहीं है, उन्हें जब चाहे, कोई बहाना बनाकर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। देश में आज भी मनरेगा कर्मियों के रूप में गुलाम बसते हैं, जिससे काम तो सरकारी कर्मियों से ज्यादा लिया जाता है, परंतु कोई भी सुविधा नहीं दी जाती है। राज्य सरकारों ने संविदा में मनरेगाकरर्मियों से काम लेकर तीन पीढियां बर्बाद कर दी है।बोकारो जिले के सभी मनरेगा कर्मियों ने संकल्प लिया है कि आर या पार की लड़ाई में जब तक लिखित समझौता नहीं होता, हड़ताल जारी रहेगा। इस धरने आदि के कार्यक्रम में सुनील चन्द्र दास, अभय कुमार, शत्रुघ्न कुमार, आंनद लाल महथा, प्रबोध खवास, अशोक दास आदि उपस्थित थे।

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