- विशद कुमार
अधिकारियों व माफियाओं के गठजोड़ से कभी ना तो बड़े पैमाने पर इसकी जांच की गई ना ही कभी कार्रवाई हुई। जो सरकारी जमीन गरीब भूमिहीनों के नामपर बंदोबस्त होना चाहिए था, वह सरकारी जमीन फर्जी तरीके से पूंजीपति जमींदार भू माफिया के नाम पर हो रही है। समाजिक कार्यकर्ता नित्यानन्द शर्मा, रंजीत शिकदार व अन्य ग्रामीणों ने कहा कि करीब 2 दशकों पहले से हमलोगों ने इसकी जांच कां लेकर आवेदन दिया परंतु अभी तक महागामा अंचल में भू माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नही हो सकी है।
झारखंड के गोड्डा जिला अंतर्गत महगामा अंचल में भू माफियाओं द्वारा केशरे हिन्द (भारत सरकार) की जमीन पर फर्जी ढ़ंग से दस्तावेज तैयार करके जमीन पर कब्जा करने का एक गंभीर मामला प्रकाश में आया है, जिसे लेकर झारखंड के पत्रकार रूपेश कुमार सिंह ने जब ट्विट किया तो गोड्डा पुलिस ने मामले को संज्ञान में लेकर मामले पर आवश्यक कार्यवाई का आश्वासन ट्विट के माध्यम से दिया है।
बता दें कि गोड्डा जिला अंतर्गत महगामा अंचल के निरंजन कुमार (पिता स्व. देवनारायण दास) व रामनारायण सिंह (पिता स्व. जिछु प्रसाद सिंह) ने केशरे हिन्द (भारत सरकार) की जमीन पर फर्जी ढ़ंग से दस्तावेज तैयार कर जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। बताया जाता है कि उस केशरे हिन्द की जमीन पर स्कूल व डाक खाना था। मौजा महगामा, थाना नं. – 700, जमाबंदी नं. – 201, दाग नं. – 539 एवं 539/1225 है। जिसके दाग नं.- 539 पर 7 कट्ठा 14 धूर पर स्कूल था और दाग नं. – 539/1225 पर 13 धूर में डाक खाना था।
ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि अब तक किन-किन भू माफियाओं ने सरकारी जमीन को कब्जा करके रखा है उन तमाम सरकारी जमीनों को भू माफियाओं से मुक्त कराया जाए। वहीं सरकारी जमीनों को अवैध रूप से दस्तावेज बनाने में किन-किन पदाधिकारियों व राजनेताओं की संलिप्तता है उसकी भी निष्पक्ष जांच करके उसका भंडाफोड़ कर उस पर कार्यवाई की जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि जो जमीन सरकारी है वह जमीन समाज की संपत्ति है ना कि भू माफियाओं का जागीर! ऐसे में पिछले 31 अगस्त को ग्रामीणों ने उस जमीन पर जिस पर निरंजन कुमार व रामनारायण सिंह ने फर्जी कागजात बनवाकर इस केशरे हिन्द(भारत सरकार) की जमीन पर अपना दावा कर रहा है, बाबा भीमराव अंबेडकर पुस्तकालय निर्माण का बोर्ड लगाकर सरकार से मांग किया है कि सरकार इस सरकारी जमीन पर पुस्तकालय और पूरी जमीन को अतिक्रमण मुक्त करके अंग्रेजों के खिलाफ हुल विद्रोह की अग्रणी कतार की नायिका फूलो-झानो के नाम पर कम्युनिटी हॉल का निमार्ण करे। जिस जमीन पर ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द भू माफिया निरंजन कुमार और रामनारायण सिंह के द्वारा सरकारी जमीन को अपने नाम पर करवाने के लिए झूठी दस्तावेज की जांच हो और उस पर 420 का मुकदमा दर्ज किया जाए। इनकी तमाम संपत्तियों की भी जांच हो। ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि अब तक किन-किन भू माफियाओं ने सरकारी जमीन को कब्जा करके रखा है उन तमाम सरकारी जमीनों को भू माफियाओं से मुक्त कराया जाए। वहीं सरकारी जमीनों को अवैध रूप से दस्तावेज बनाने में किन-किन पदाधिकारियों व राजनेताओं की संलिप्तता है उसकी भी निष्पक्ष जांच करके उसका भंडाफोड़ कर उस पर कार्यवाई की जाए।
मामले पर आज दिनांक 08/09/20 को भीम आर्मी-भारत एकता मिशन, झारखंड के प्रदेश संयोजक रंजीत कुमार ने प्रेस विग्यप्ति जारी करते हुए कहा कि गोड्डा जिले के महागामा प्रखंड में भू माफियाओं ने सरकारी खाली पड़ी जमीनों पर न सिर्फ खूब कब्जे कर बड़े आलीशान मकान ही नहीं बनाएं हैं बल्कि कई जगह कब्जे करने के बाद उसे मोटी रकम कमाकर बेच भी डाला है। अधिकारियों व माफियाओं के गठजोड़ से कभी ना तो बड़े पैमाने पर इसकी जांच की गई ना ही कभी कार्रवाई हुई। जो सरकारी जमीन गरीब भूमिहीनों के नामपर बंदोबस्त होना चाहिए था, वह सरकारी जमीन फर्जी तरीके से पूंजीपति जमींदार भू माफिया के नाम पर हो रही है। समाजिक कार्यकर्ता नित्यानन्द शर्मा, रंजीत शिकदार व अन्य ग्रामीणों ने कहा कि करीब 2 दशकों पहले से हमलोगों ने इसकी जांच कां लेकर आवेदन दिया परंतु अभी तक महागामा अंचल में भू माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नही हो सकी है। महागामा नगर पंचायत के महागामा दक्षिणि वार्ड नम्बर- 4 के पासवान टोला में थाना संख्या- 700, खाता संख्या-201,दाग नम्बर 539/1225 नेचर केशर हिन्द भारत सरकार के सरकारी जमीन करीब 8 कट्ठा 9 धुर पर पहले डाक घर व स्कूल था।
भीम आर्मी का कहना है कि महागामा में जो सरकारी जमीन गरीब भूमिहीनों को मिलना चाहिए था, जिस पर सार्वजनिक निर्माण कार्य होना चाहिए था, उस पर फर्जी तरीके से सरकारी जमीन भू माफिया लोग अपने नाम पर करवाकर कब्जा कर रहे हैं। इसी के विरोध में स्थानीय ग्रामीणों ने सिंबल ऑफ नॉलेज बाबा साहब अम्बेडकर के नामपर “डॉ अम्बेडकर पुस्तकालय” का बोर्ड लगाया है, ताकि ये सम्प्पति सरकारी व सार्वजनिक रहे। मगर सथानीय प्रशासन इस पुस्तकालय के बोर्ड हटाने में काफी दिलचस्पी ले रहा है। जबकि इस मामले में सम्बंधित भू माफिया के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होना चाहिए था। बता दें कि 2003 में तत्कालीन अंचलाधिकारी ने कार्यालय से एक नोटिस जारी कर भू माफिया को और शख्त निर्देश दिया था कि अवैध रूप से कब्जा कर जमीन पर निर्माण कार्य कर रहे उसे अविलंब रोका जाय।
ग्रामीणों का कहना है कि इस जमीन पर 1981 तक सरकारी स्कूल व डाकघर चल रहा था। उसके बाद ये स्कूल व डाकघर अन्यत्र स्थान्तरित कर दिया गया। बता दें इसी तरह से महागामा के आसपास मेन इलाकों के सभी सरकारी जमीन पर भू माफियाओं द्वारा अवैध रूप से बंदोबस्ती करवाकर कब्जा कर लिया गया है।ग्रामीणों कहा है कि अगर क्षेत्र के सांसद-विधायक इन सवालों पर चुप्पी नहीं तोड़ते हैं तो उनके खिलाफ भी मोर्चा खोला जाएगा।