20 अक्टूबर 2025 को 09:32 am बजे
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अशोक भौमिक ने चित्र बनाये, शिल्प गढ़े, पुस्तकें लिखीं, रचनात्मक आंदोलनों में सक्रिय रहे

 अशोक भौमिक ने चित्र बनाये, शिल्प गढ़े, पुस्तकें लिखीं, रचनात्मक आंदोलनों में सक्रिय रहे

एक कलाकार की कला यात्रा का समग्रता से अवलोकन करना हो, ऐसे अभूतपूर्व अवसर कम ही आते हैं। हमारे समय के वरिष्ठ कलाकार श्री अशोक भौमिक जी की retrospective कला प्रदर्शनी 'Liminal Lines'- Ashok Bhowmick's Artistic Legacy: Tracing 60 years of Thought, Form, and Resistance इन दिनों CCA Gallery बीकानेर हाउस में (5-15 अक्टूबर 2025) में लगी हुई है। धूमीमल आर्ट गैलरी द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी को वरिष्ठ कला समीक्षक श्री राजन श्रीपद फुलारी ने क्यूरेट किया है।यह हम सभी का सौभाग्य ही है कि हम एक ऐसे समय के साक्षी हैं जिसमें महान कलाकार, मूर्तिकार, लेखक और कला समीक्षक श्री अशोक भौमिक की सतत उपस्थिति दर्ज है। यह उपस्थिति अपनी निरंतरता और सजग दृष्टि के साथ हमारे बीच बनी हुई है - हमारे साथ संवाद करती, हमें अपने साथ चल पड़ने का आमंत्रण देती और कला के प्रति हमारी समझ का परिष्कार करती। श्री अशोक भौमिक जी की कला हमारी अपनी संवेदना की अभिव्यक्ति है। यह उसी पीड़ा और संघर्ष से गुजरी है जिसे हम सभी अपने जीवन में, अपने समाज में और अपने अंतर्मन के एकान्त में भोगते हैं और मूक रह जाते हैं। श्री अशोक भौमिक की कला हमारे उसी दंश की, हमारे भीतर सघन होते मौन की मुखर अभिव्यक्ति है। उनकी Coal Mines Series, कोयला खनिकों के जीवन के विषय में है। यह उनके अमानवीय और संघर्षमय जीवन के बारे में तो है ही, साथ ही वह हमारे बीच उन कहानियों को कहती है जिनके बारे में कोई बात भी नहीं करता। यह वह साहस और निर्भीकता है, जो कबीर में है और हर उस कवि, लेखक और कलाकार में है जो अपने सच के लिए उठ खड़ा होता है। श्री अशोक भौमिक, कबीर की इसी परंपरा के वाहक हैं। श्री अशोक भौमिक जी की Bull Series बहुचर्चित रही है। मेरा मानना है कि मनुष्य के अदम्य साहस को सलाम करती यह चित्र श्रंखला हमारी जिजीविषा का प्रतीक है जो कभी हार नहीं मानती। जो लड़ना जानती है और जो डटे रहना जानती है। जीतना मायने नहीं रखता, मनुष्य का साहसी बने रहना, जूझते रहना मायने रखता है। श्री कुंवर नारायण जी की कविता है-कोई दुख,मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं,वही हारा, जो लड़ा नहीं। अशोक दा के चित्रों में और उनके मूर्ति शिल्प में भी पक्षी अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं। मेरा मानना है कि पक्षी हमारे मन की उमंग और स्वतंत्र उड़ान का प्रतीक हैं। पक्षी हमें आमंत्रण देते हैं - आओ, ऊपर उन्मुक्त आकाश है। किसी देहरी, देश, जाति, धर्म के जाल से परे। 'Liminal Lines'- यह कला प्रदर्शनी अपने भीतर एक इतिहास को समेटे हुए है। यह एक कलाकार की अनवरत कला साधना है। इस प्रदर्शनी में श्री अशोक भौमिक जी के लगभग 250 चित्र और मूर्तिशिल्प प्रदर्शित हैं। हर चित्र और शिल्प के सामने खड़े होना एक जीवन जीना है और हर चित्र और शिल्प के विषय बहुत कुछ कहा और लिखा जा सकता है। इस कला प्रदर्शनी में सुप्रसिद्ध कवियित्री अनुपम सिंह से मुलाकात सुखद संयोग रहा। मैं अनुपम जी से लगभग 3 साल पहले मिला था। इप्टा की एक सांस्कृतिक यात्रा 'ढाई आखर प्रेम' के जरिए दिल्ली में आयोजित एक कवि सम्मेलन के दौरान। अनुपम जी की कविता ' हां, शर्तों पर टिका है मेरा प्रेम' मुझे और शालिनी को बहुत प्रिय है। मैंने अक्सर इसका पाठ किया है। खासकर अपनी बेटी मेहेर के लिए। कला प्रेमियों को यह कला प्रदर्शनी अवश्य देखनी चाहिए। विशेषकर वह कलाकार, जिनकी यात्रा ने अभी अपनी शुरुआत की है, इसे अवश्य देखें। अशोक दा ने इतना काम किया है कि असंभव सा लगता है। चित्र बनाये, शिल्प गढ़े, पुस्तकें लिखीं, रचनात्मक आंदोलनों में सक्रिय रहे। अशोक भौमिक होना, कला में जीना होना है।इस कला प्रदर्शनी को अवश्य देखें। देखें कि जब यात्रा परिपक्व हो रही होती है तो मित्र, कला प्रेमी, कला जगत और समय किस तरह अपना प्रेम और आभार व्यक्त करते हैं। अशोक दा, आपकी कला यात्रा निरंतर जारी रहे।

पंकज निगम