भारतीय ज्ञान परंपरा में ध्यान का विशेष महत्वः प्रो.एन.के शुक्ल

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प्रयागराजः इलाहाबाद विश्विविद्यालय की कुलपति प्रो.संगीता श्रीवास्तव के निर्देशन में दिनाँक 31/10/2023 दिन मङ्गलवार को संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं प्राच्य भाषा विभाग द्वारा हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट के साथ हुए एम.ओ.यू. के तहत यू-कनेक्ट कार्यशाला  का शुभारम्भ हुआ।

हार्टफुलनेस एम.ओ.यू. के समन्वयक एवं  संस्कृत विभाग के आचार्य प्रो. अनिल प्रताप गिरि के संयोजन में कार्यशाला का उद्घाटन एवं प्राणाहुति पर आधारित ध्यान का अभ्यास आयोजन किया गया। कार्यशाला के उद्धाटन सत्र का शुभारम्भ परास्नातक छात्राओं द्वारा वैदिक मङ्गलाचरण से हुआ। प्रो. गिरि ने कार्यशाला में सम्मिलित  सभी अतिथियों, गणमान्य व्यक्तियों एवं प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया।
प्रयाग नारायण मिश्र द्वारा संस्कृत विभाग के 150 वर्ष की ऐतिहासिक सारस्वत यात्रा को स्मरण करते हुए सभी को हार्दिक शुभकामानाएँ अर्पित की। ध्यातव्य है कि संस्कृत विभाग की स्थापना इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना से  दश वर्ष पूर्व 1873 ई. में हुआ।  1873 से आज तक संस्कृत विभाग में अध्ययन-अध्यापन की परम्परा अनवरत चली आ रही है। संस्कृत विभाग में वर्तमान में 22 शिक्षक एवं 1300 से अधिक विद्यार्थी सारस्वत साधना में अध्ययन रत हैं। इस प्रकार इलाहाबाद विश्वविद्याल का यह गौरवशाली संस्कृत विभाग न केवल भारत देश के अपितु विश्व के वृहत्तम संस्कृत विभागों में से एक है।
कार्यशाला का उद्घाटन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो.एन.के शुक्ल के द्वारा किया गया। इस मौके पर प्रो.शुक्ल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में ध्यान का अपना विशेष महत्व है। पातञ्जल योग दर्शन में ध्यान के स्वरूप को वर्णित किया गया है। ध्यान के विज्ञान को अपनाएं बिना व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास नहीं हो सकता है। हार्टफुलनेस एम.ओ.यू. के अंतर्गत ध्यान के वैज्ञानिक पद्धति से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समस्त छात्रों, शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों को परिचित कराया जाएगा जिससे वे अपने दैनंदिन जीवन में ध्यान को अपनाकर रोग रहित तथा खुशहाल जीवन जी सकें। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित सुश्रुत हास्पिटल के प्रसिद्ध डॉ. नवीन कुमार मिश्र जी ने हार्टफ़ुलनेस ध्यान एवं प्राणाहुति के विज्ञान को विस्तार से समझाते हुए अपने बीज वक्तव्य में कहा कि हार्टफुलनेस ध्यान में प्राणाहुति का अपना विशेष महत्व है, जिसे अभ्यास के द्वारा अनुभव किया जा सकता है। प्राणाहुति का सिद्धान्त केनोपनिषद् में “प्राणस्य प्राणः” के रूप मे वैदिक ऋषियों द्वारा बताया गया है। प्राणाहुति एक दिव्य ऊर्जा है जिसका संप्रेषण ध्यान की प्रक्रिया में योग्य प्रशिक्षक द्वारा अभ्यासियों को प्रदान किया जाता है जिससे व्यक्ति के जटिल संस्कारों का विगलन हो जाता है तथा व्यक्ति ऊर्जावान एवं आनन्द का अनुभव करता है। कला संकाय,  इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष प्रो. संजय सक्सेना ने भी अपने संस्तुति वाचन में भारतीय ज्ञान परंपरा में योग के महत्व को प्रतिपादित किया तथा योग के विभिन्न गुरुओं की चर्चा की। हार्टफुलनेस- यू-कनेक्ट की संयोजिका श्रीमती ज्योति मिश्रा ने पावर पॉइंट प्रस्तुति के द्वारा हार्टफुलनेस ध्यान के वैज्ञानिक पद्धति को बताया।  प्रतिभागियों से विचार-विमर्श के माध्यम से  हार्टफुलनेस ध्यान की प्रशिक्षिका प्रयागराज के सिविललाइन क्षेत्र में स्थित यात्रिक होटेल की संरक्षिका श्रीमती स्मिता अग्रवाल ने भी हार्टफुलनेस ध्यान के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए ध्यान के द्वारा मनुष्य के अभ्युदय एवं निःश्रेयस की प्राप्ति कैसे सम्भव है-इस विषय पर विस्तार से चर्चा किया।

उद्घाटन सत्र के पश्चात् हार्टफुलनेस ध्यान का व्यावहारिक सत्र का शुभारम्भ हुआ जिसमें 200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने प्राणाहुति के विज्ञान एवं ध्यान का अभ्यास किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का सञ्चालन संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की सहायक आचार्य डॉ. रेनु कोछड शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सफल समापन विभाग समन्वयक प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उद्धाटन सत्र के बाद तकनीकि सत्र में प्रतिभागियों के ध्यान से सम्बन्धित अनेक सन्देहों को दूर किया गया। प्रो. जयन्त नाथ त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, डॉ. निरुपमा त्रिपाठी, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. लेखराम दन्नाना, डॉ.सन्दीप कुमार यादव, डॉ.मीनाक्षी जोशी, डॉ.रश्मि यादव, डॉ.कल्पना कुमारी, डॉ.अनिल कुमार, डॉ.प्रतिभा आर्या, डॉ.ललित कुमार, डॉ.आशीष कुमार, डॉ.सन्त प्रकाश तिवारी, डॉ. तेज प्रकाश, डॉ.वालखडेभूपेन्द्र अरुण, डॉ. प्रचेतस्, डॉ.नन्दिनी रघुवंशी  की गरिमामयी उपस्थिति रही ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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