



विशद कुमार
लातेहार जिला के मनिका में 15 वें मनरेगा दिवस के अवसर पर ग्राम स्वराज मजदूर संघ तथा नरेगा सहायता केंद्र के द्वारा संयुक्त रूप से जागरूकता रैली तथा सम्मेलन का आयोजन किया गया। रैली मनिका हाई स्कूल के मैदान से शुरू हो कर प्रखंड कार्यालय तक पहुंची। रैली व सम्मेलन में मनरेगा मजदूरों के अधिकार को जागरूक करने के सांस्कृतिक कार्यक्रम व गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की शुरू जान्हों के परसही में काम के दौरान हुई मजदूरों की मौत के प्रति संवदेना व्यक्त करते हुए श्रद्धांजली दी गयी तथा दो मिनट का मौन रखा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम स्वराज मजदूर के संघ के अघ्यक्ष कमलेश उरांव ने किया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए झारखंड नरेगा वाॅच के राज्य समन्वयक जेम्स हेरेंज ने कहा कि मनरेगा को कानून के बने 15 वर्ष हो गये, मगर मनरेगा मजदूरों को झारखंड में कम मजदूरी दी जाती है। उन्होंने कहा कि झारखंड में कम से कम 300 रू0 मजदूरी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मजदूरों को अधिकार के लिए संघर्ष करने की जरूरत है।
राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान के राज्य संयोजक मिथिलेश कुमार ने कहा कि आज बहुत ही खुशी का दिन है, क्योंकि आज के दिन मजदूरों के संघर्ष के बदौलत मनरेगा कानून बना है। इसे लागू कराने के लिए सभी मजदूरों को संघर्ष करने कि जरूरत है। नेता भुखन सिंह ने कहा कि हम सभी ने 1992 से 2005 तक मजदूरों के हक के लिए लड़ाई की और अन्त में 2 फरवरी 2005 नरेगा कानून लागू किया गया। नरेगा आने के बाद भी कई साथियों को भी शहीद होना पड़ा। जैसे नियामत अंसारी और ललीत मेहता जैसी को शहीद होना पड़ा, तभी जाकर आज हमारे यहां नरेगा का काम चल रहा है।
कमलेश उरांव ने कहा कि मजदूरों को अपने अधिकार की लड़ाई लड़ने की जरूरत है, क्योंकि वगैर संघर्ष के मजदूरों को अधिकार नहीं मिलता है। पचाठी सिंह नरेगा सहायता केन्द्र मनिका ने कहा कि माटी काटते काटते थक जाते हैं और समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं होता है। मजदूर पंचायत से लेकर ब्लॉक आफिस तक दौड़ते रहते हैं, लेकिन अधिकरी सोये रहते हैं। इसलिए हम सभी को जागरूक होने की जरूरत है। अभी जो जान्हो में कूप धसने से 5 मजदूर दब गये जिसमें 2 मजदूरों की मौत हो गयी। जबकी बाकी 3 मजदूरों के इलाज के बाद आज विकलांग की स्थिति है। बावजूद आज किसी भी तरह का मुआवजा प्रखण्ड प्रसासन द्वारा नही किया गया। इस लिए आप सभी को भी ध्यान रखने की जारूरत है।
मनाज कुमार सिंह ने मनरेगा योजना की खासियत पर कहा कि आज जो हम सभी यहां पर मौजूद हैं ,क्योंकि हम सभी मनरेगा मजदूर हैं और आज मनरेगा कानून का 15वां वर्ष पूरा हो चुका है। रोजी रोटी पर हम सबका अधिकार है, अपने घर में रहकर मनरेगा काम करेगें, हर सामूहिक या व्यक्तिगत आवेदन रोजगार सेवक या किसी भी पंचायत अधिकारी का देगें और काम करेंगे। मजदूरी का भूगतान हर सप्ताह लेगें। अभी जो दीदी बाड़ी योजना आयी है, खुद काम करेगें खुद सब्जी खायेगें और खुद मजदूरी पायेगें और कुपोषण दूर भगायेंगें। मनरेगा कानून एक ऐसा कानून है जिसमें गांव में रहकर ही 100 दिन का काम मिलता है। जब भी घर के कामों से हम खाली हों, हम सभी कभी भी साल में 100 दिन का काम करके मजदूरी पा सकते हैं।
सम्मेलन व रैली के माध्यम से मांग की गयी कि ऐसे ग्रामीण परिवार जो मनरेगा के तहत प्रत्येक वर्ष 31 दिसंबर तक 100 दिन का कार्य पूर्ण कर लेते हैं, उनको प्रोत्साहन स्वरुप अतिरिक्त 50 दिनों के रोजगार की गारंटी की जाए। नरेगा मजदूरी व न्यूनतम मजदूरी कम से कम 300 रूपये प्रतिदिन की जाए। मजदूरी भुगतान कानून के अनुसार अगर नरेगा मजदूरी मिलने में देरी होती है, तो मजदूरों को 2500 रूपये का मुआवजा मिले। महिलाओं, वृद्ध व आदिम जनजातियों के लिए दैनिक आधार पर मजदूरी दर निर्धारित हो। नरेगा में कार्य किये सभी गर्भवती महिला मजदूरों को एक महीने का संवैधानिक मातृत्व अवकाश मिले। लातेहार के मनिका प्रखंड में कार्य के दौरान मृत मजदूरों के आश्रितों को 10 लाख रूपये का मुआवजा सरकार सुनिश्चित करे तथा घायलों के समुचित इलाज की व्यवस्था सरकार करे। प्रत्येक मनरेगा मजदूर को सम्पूर्ण सामाजिक सुरक्षा यथा पेंशन योजनाएँ, ग्रुप बीमा, चिकित्सा भत्ता, पी0 एफ0 सुविधा, ग्रेच्युटी लाभ, मृत्यु अथवा विकलांग होने पर आश्रितों को अनुग्रह राशि, एवं बच्चों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी सरकार सुनिश्चित करे। सम्मेलन के अंत में मुख्यमंत्री के नाम सात सूत्री मांग पत्र सौपा गया।
कार्यक्रम में उपस्थित दिलीप रजक, अमरदयाल सिंह, श्यामा सिंह, भुखन सिंह, बालकी सिंह, नन्हकू सिंह, महादेव सिंह, दिनेश सिंह, सुमणी देवी, रीता देवी, सुमित्रा देवी, रजनी देवी, सुनिता देवी, कविता देवी, सोनती देवी, नगिना सहित सैकड़ों की संख्या में मजदूरों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन लाल बिहार सिंह ने की।