जानेमन मुंबई में कवियों की धींगामुश्ती, लहालोट हुए श्रोता

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मुम्बई में कविता की यादगार शाम
कौशल किशोर और हरि मृदुल के साथ स्थानीय हिन्दी और मराठी के कवियों ने कविताएं सुनाईं
हरि मृदुल की कविताएं समकालीन कविता के सुवास को दूर तक ले जाने में सक्षम – अरुण कमल
कौशल किशोर जन संघर्षों के साथ उम्मीद भरे सपनों के भी कवि – जुल्मीराम सिंह यादव
प्रश्नबोध सांस्कृतिक मंच और जनवादी लेखक संघ, मुम्बई ने 5 फरवरी की शाम को यादगार बना दिया। यह शाम कविता की शाम थी। कार्यक्रम उत्साही श्रोताओं से खचाखच भरे विरंगुला केंद्र, मीरा रोड, ठाणे, महाराष्ट्र में आयोजित किया गया। इस मौके के मुख्य कवि थे ‘रेवांत’ के प्रधान संपादक कौशल किशोर (लखनऊ) और हरि मृदुल (सहायक संपादक, नवभारत टाइम्स)। दोनों ने अपनी अनेक कविताओं का पाठ किया। उनकी कविताएं जीवन, संघर्ष और प्रतिरोध के विविध रंगों की थीं।
हरि मृदुल ने ‘मीरा रोड मेट्रो स्टेशन’ से अपने कविता पाठ की शुरुआत की। उन्होंने जीवन के विविध विषय और प्रसंग को समेटती अनेक कविताएं सुनाईं। इनमें प्रेम का रंग भी शामिल था। वहीं कौशल किशोर ने जो कविताएं सुनाईं, वे जीवन-संघर्ष और प्रतिरोध के रंग में सराबोर थीं। इस मौके पर उन्होंने ‘वह हामिद था’, ‘झूठ बोलो’, ‘मैं और मेरी परछाई’, ‘बाबूजी के सपने’, ‘किसानों का लौटना’, ‘समकालीनता’ ‘सत्तर पार करना’ आदि कई कविताओं का पाठ किया।
आरंभ में दोनों कवियों का परिचय दिया गया। हरि मृदुल की कविताओं पर कॉमरेड मुख्तार खान द्वारा अरुण कमल का लेख पढ़ा गया जिसमें वे लिखते हैं कि हरि मृदुल की कविता में कोई अंश स्पष्ट रूप से राजनीतिक या मुखर नहीं भी होता है, तो भी उसमें अंतर्निहित ताप और आत्मिक स्पर्श साफ दृष्टिगोचर होते हैं। वह एक ऐेसे कवि हैं, जो नवीनतम हिंदी कविता का उत्कृष्टता से प्रतिनिधित्व करते हैं। हरि की कविताएं समकालीन हिंदी कविता की सुवास को दूर तक ले जाने में सक्षम हैं।
कवि और आलोचक जुल्मीरामसिंह यादव ने कौशल किशोर की कविताओं पर अपने विचार रखते हुए कहा कि ये अपनी काव्य कला की वैचारिकी को कला की बहुपरतीय तहों में छुपा कर नहीं रखते, न ही वे आंख बंद कर ज्वलंत मुद्दों से बच कर निकलने की कोशिश करते हैं | आज इस फासीवादी समय में गंगा जमुनी तहजीब और मनुष्यता के बीच जो योजनाबद्ध तरीके से सांप्रदायिकता का बारूद रख दिया गया है, उसके विरुद्ध वे लिखते हैं। कौशल किशोर जन संघर्षों के साथ-साथ उम्मीद भरे सपनों के भी कवि हैं। वे बहते समय के लघुतर क्षणांश में भी जीवन की हरीतिमा को खोज लेते हैं |
इन दो कवियों के कविता पाठ के बाद हिन्दी और मराठी के स्थानीय कवियों ने भी अपनी कविताएं सुनाईं। उनमें ललित तिवारी, राकेश शर्मा , प्रशांत जैन, डॉ रविंद्र प्रसाद सिंह ‘नाहर ‘ (दिल्ली), रमेश गुप्त मिलन, संजय भिसे, जुल्मीरामसिंह यादव, प्रशांत जैन, रविंद्र प्रसाद सिंह, मुरलीधर पांडे, महेश गुप्त, रवि यादव, बबलू कनौजिया, प्रोफ़ेसर उत्तम भगत और बाल झोडगे शामिल थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता गोपाल शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि हरि मृदुल की कविताएं जीवन को संस्पर्श करती हैं। उन्होंने कौशल किशोर की किसान आंदोलन पर लिखी कविता की खास चर्चा की और पाब्लो नेरुदा का संदर्भ देते रचनाकार की जीवनी शक्ति की बात की। समकालीन कविता पर जाने-माने कवि और कथाकार विनोद दास ने संक्षिप्त पर सारगर्भित टिप्पणी की । उनका कहना था कि ऐसे आयोजन का बड़ा महत्व है।कविता का रिश्ता भाव व संवेदना से है। वह मानव मन को बदलने का काम करती है।
कार्यक्रम का संचालन जुल्मीरामसिंह यादव ने किया। इस अवसर पर नाट्य कर्मी आर एस विकल एवं विनोद यादव, संगीतकार फराज़, कॉमरेड दिनेश, कॉमरेड सफीक खान, वरिष्ठ पत्रकार मुशर्रफ शम्शी, साहित्यकर्मी गुलाब यादव, चंद्रकांत सिंह , लाल बहादुर यादव, सभाजीत शास्त्री , कॉमरेड रामचंद्र, मराठी के गीतकार पुरुषोत्तम वानखेडे प्रोफेसर शिवाजी, विनीता दास, कवयित्री विमल किशोर सहित बड़ी संख्या में साहित्य और समाज से उपस्थिति थी। स्वर संगम की ओर से हरिप्रसाद राय ने आभार जताया और सभी ने ‘चिंतन दिशा’ के संपादक व कवि-कथाकार हृदयेश मयंक के शीघ्र स्वस्थ होने की शुभकामनाएं दी।
जुल्मीरामसिंह यादव
मुंबई

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