एफएक्स कंपनी द्वारा आदिवासियों का पूजा स्थल कब्जाने की कोशिश, विरोध में आई ग्राम सभा

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विशद कुमार

झारखंड के सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत चांडिल प्रखंड के अंतर्गत मौजा आसनबनी में मेसर्स एफएक्स कॉरपोरेशन इंडियन प्रा०लि० द्वारा आदिवासी समुदाय के जाँताल पूजा स्थल पर किये जा रहे अवैध कब्जे को लेकर ग्राम सभा ने काफी गंभीरता से लिया है, तथा ग्राम सभा और एफएक्स कंपनी आमने—सामने है। जिसके परिणाम स्वरूप क्षेत्र में भावी हिंसा की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।

आरोप है कि सरकारी जमीन और बंदोबस्ती जमीन सहित आदिवासी समुदाय के जाँताल पूजा स्थल पर मेसर्स एफएक्स कॉरपोरेशन इंडियन प्रा०लि० द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है।

खबर है कि कंपनी द्वारा इस कब्जे को लेकर ग्राम सभा की एक बैठक पिछले 25 जुलाई को संपन्न हुई और एफएक्स कंपनी के अधिकारी बी. एन. तिवारी से भूमि का दस्तावेज मांगा गया। जिसे बी. एन. तिवारी ने ग्राम सभा की 26 जुलाई की बैठक में दिखाया था। मगर तिवारी द्वारा दिया गया दस्तावेज, ग्राम सभा की जांच समिति द्वारा किए गए जांच के दौरान गलत पाया गया। जिससे यह साफ हो गया है कि कंपनी आदिवासियों की जमीन पर अवैध कब्जा की तैयारी है।

बता दें कि आसनबनी गांव में आदिम जनजाति के पुरखों से स्थापित जाँताल पूजा स्थल की जमीन को एफएक्स कंपनी द्वारा अपनी बताकर बलपूर्वक कब्जा किया जा रहा है और जे०सी०बी० (JCB) मशीन के द्वारा पूजा स्थल को क्षतिग्रस्त कर समतलीकरण किया जा रहा है। इतना ही नहीं एफएक्स कंपनी द्वारा इस जाँताल पूजा स्थल की जमीन पर चहारदीवारी भी खड़ी की जा रही है, जिसके कारण पूजा स्थल के पीछे बसे सबर जनजाति के लोगों के निकलने का रास्ता भी बंद हो रहा है। जिसकी शिकायत के बाद भी प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया है, अत: इस मामले को ग्राम सभा ने संज्ञान में लेकर कंपनी से जमीन की कागजात की मांग की जो जाली निकला। अब ग्रामीणों ने कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है। ग्रामीणों ने कंपनी द्वारा किए जा रहे कब्जे के खिलाफ कमर कस लिया है, बावजूद संभव है कंपनी द्वारा अपनी ताकत और पैसे का इस्तेमाल करके उक्त जमीन पर कब्जा किया जा सकता है। यह भी संभव है कि ऐसी स्थिति में ग्रामीण और कंपनी में टकराव की भी स्थिति पैदा हो, जो आने वाले दिनों में हिंसा का रूप ले सकता है। ऐसे में मामले पर प्रशासन की लपरवाही भविष्य में प्रशासन के गले की हड्डी भी बन सकती है।

मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता अनूप महतो कहते हैं कि ”जिस तरह सरायकेला खरसावां चांडिल प्रखंड के अंतर्गत मौजा आसनबनी में उद्योगपति और भू—माफिया की साठगांठ से आदिम जनजाति के पुरखों द्वारा स्थापित जाँताल पूजा स्थल को बलपूर्वक अतिक्रमण किया जाना और जे०सी०बी० (JCB) मशीन के द्वारा पूजा स्थल को क्षतिग्रस्त किया जाना, पूरे झारखंडी समाज और झारखंडी संस्कृति पर खुल्लम—खुला चोट है, जो पूरी तरह निंदनीय है।”

वे आगे कहते हैं कि ”इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति और आदिम जनजाति निवास करते हैं, इस पूंजीवादी व्यवस्था और करपोरेटी षड्यंत्र के चलते आदिवासियों के रहन-सहन और संस्कृतिक, रीति—रिवाज में छेड़छाड़ हो रही है, जिससे आदिवासियों और मुलवासियों का जीवन यापन प्रभावित हो रहा है।”

 वे बताते हैं कि सरायकेला—खरसावां जिला के कई क्षेत्रों में क्षेत्रीय पूजा स्थल, पारंपरिक शमशान स्थल, के साथ-साथ झारखंड सरकार की अनाबद भूमि को भी करपोरेटी षड्यंत्र के तहत भू—माफिया बलपूर्वक कब्जा कर रहे हैं और प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। झारखंड में सरकार तो बदली है, परंतु जो प्रशासनिक अधिकारी हैं, उनके चरित्र व रुतबा में कोई बदलाव नहीं आया है।”

मामले को लेकर 26 जुलाई को ग्राम सभा की हुई बैठक में ग्राम सदस्यों ने प्रस्ताव पारित किया जिसके तहत निम्न निर्णय लिए गए।

  • ग्राम सभा द्वारा निर्णय लिया गया कि जब तक इस विवादित जांताल पूजा (स्थल) जमीन के मेसर्स एफएक्स कॉरपोरेशन इंडियन प्रा०लि० द्वारा सच्चे कागजात प्रस्तुत नहीं किया जाते हैं, तथा सीमांकन नहीं होने तक विवादित जांताल पूजा स्थल जमीन पर कोई भी बाहरी अथवा प्रतिवादी व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले सभी प्रकार के कार्य का विरोध किया जाएगा, ग्राम सभा के अलवा कोई भी इस पर कार्य नहीं करेगा तथा कार्य स्थागित रहेगा।
  • ग्राम सभा में यह भी निर्णय लिया गया कि सीमांकन के दौरान गलत/अवैध अथवा कोई आदिम जनजाति या अदिवासी की भूमि पर अतिक्रमण पाया जाता है तो SC ST Act/Atrocities Act 1989 के तहत उचित करवाई की जाएगी।

सभा की बैठक में चांडिल प्रखंड के विभिन्न ग्रामसभा के ग्राम प्रधान और ग्राम सदस्य उपस्थित थे।

मामले पर पारंपरिक ग्राम प्रधान सुकलाल पहाड़िया ने कहा है कि ”मेसर्स एफएक्स कॉरपोरेशन इंडियन प्रा०लि० और भू—माफिया के द्वारा हमारी पूर्वजों की सार्वजनिक जाँताल पूजा स्थल, आदिम जनजाति के रैयत भूमि, आदिम जनजाति के बंदोबस्ती भूमि एवं अनबाद झारखंड सरकार की भूमि को बलपूर्वक कब्जा किया जा रहा है। इसके विरोध में आसनबनी ग्राम सभा हमेशा खड़ी है और ग्रामसभा उपायुक्त को इस विषय में एक ज्ञापन सौंपेगी और प्रशासन से ‘एट्रोसिटी एक्ट’ के तहत कार्रवाई की मांग भी करेगी। अगर जिला प्रशासन, अधिकारी इस विषय में संज्ञान नहीं लेता है तो आसनबनी ग्राम सभा चांडिल प्रखंड के बाकी कईयों ग्राम सभा के साथ भू—माफिया के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी और इसका जिम्मेवार प्रशासन होगा।”

‘एट्रोसिटी एक्ट’ यानी यह अधिनियम अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध किए गए अपराधों के निवारण के लिए है, अधिनियम ऐसे अपराधों के संबंध में मुकदमा चलाने तथा ऐसे अपराधों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए राहत एवं पुनर्वास का प्रावधान करता है। सामान्य बोलचाल की भाषा में यह अधिनियम अत्याचार निवारण (Prevention of Atrocities) या अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम कहलाता है।

इस कानून की तीन विशेषताएँ हैं :

यह अनुसूचित जातियों और जनजातियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ़ अपराधों को दंडित करता है।

यह पीड़ितों को विशेष सुरक्षा और अधिकार देता है।

यह अदालतों को स्थापित करता है, जिससे मामले तेज़ी से निपट सकें।

पारंपरिक ग्राम प्रधान सुकलाल पहाड़िया की बातों को अगर प्रशासन गंभीरता से लेकर मामले पर कोई हस्तक्षेप नहीं करता है तो स्थिति भयावह हो सकती है।

बता दें कि जांताल पूजा आदिवासी समुदाय सहित कई गैरआदिवासी समुदाय के लोग भी करते हैं जो पहाड़ों के आसपास के क्षेत्रों में बसते हैं। यह पूजा खुशहाली एवं समृद्धि के लिए पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार पाउड़ी मां की पूजा भी समझी जाती है। पाउड़ी पहाड़ को कहा जाता है। एक अन्य   मान्यता के अनुसार जांताल पूजा पहले राजा एवं जमींदारों द्वारा की जाती थी। राजतंत्र खत्म होने के बाद भी कहीं कहीं यह पूजा राज परिवार की उपस्थिति में ग्रामीणों द्वारा की जाती रही है। यह पूजा सावन में बेहतर खेती होने की कामना के साथ की जाती है।

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