सामने मसअला नहीं होता
सामने मसअला नहीं होता
तो कहीं रास्ता नहीं होता
दिल से मेरे किसी भी इंसा का
भूल कर भी बुरा नहीं होता
वक़्त पे भूख गर मिटी होती
क़त्ल का सिलसिला नहीं होता
जंग दुनिया से जीत जाता गर
इश्क में मुब्तला नहीं होता
कैसे बन पाएं मील के पत्थर
फ़ासला तय ज़रा नहीं होता
बलजीत सिंह बेनाम
(संगीत अध्यापक/विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ)
103/19 पुरानी कचहरी कॉलोनी, हाँसी
ज़िला हिसार(हरियाणा)
सम्पर्क : 9996266210