कितनी तरह का होता है गठिया, क्‍या इलाज है संभव? जानें 10 बड़े तथ्य

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डॉ. अनूप सिंह

विश्व गठिया दिवस भ्रम और तथ्य:

कितनी तरह का होता है गठिया , क्‍या इलाज है संभव? जानें 10 बड़े तथ्य
आर्थराइटिस/ गठिया के खतरे और इसकी पहचान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 12 अक्‍टूबर को वर्ल्‍ड आर्थराइटिस डे मनाया जाता है. यह एक वैश्विक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम है, जो मस्क्यूलोस्केलेटम रोगों के बारे में जागरूकता पैदा करने और लोगों को लक्षणों और निवारक उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिए मनाया जाता है.
आर्थराइटिस या गठिया से पीड़ित लोग जोड़ो में भीषण दर्द से जूझते हैं जो की बिगड़ते जोड़ो और आपस में रगड़ खाती हडि्डयों के कारण होता है
आर्थराइटिस मरीज के जोड़ों की हडि्डयों के बीच के कार्टिलेज को खत्‍म करने लगता है. बढ़ती उम्र के साथ इसका खतरा बढ़ता जाता है. उम्र बढ़ने या बूढ़े होने से हमारे शरीर में कई शारीरिक बदलाव आते हैं। ये परिवर्तन आमतौर पर मांसपेशियों की ताकत, हड्डियों के घनत्व, शरीर के समन्वय में कमी का कारण बनते हैं और यहां तक कि जोड़ों को सख्त बना देते हैं, जिससे कभी-कभी गिरने और फ्रैक्चर हो सकते है। इस समस्‍या की समय से पहचान बेहद जरूरी हैl
मोटे तौर पर गठिया को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है- अपक्षयी जो उम्र के साथ होता है जैसे ऑस्टियर्थ्रेटिस और इंफ्लेमेटरी जो युवा लोगों में भी होता है जैसे की रूमेटॉयड गठिया इत्यादि।
भारत में भी आर्थराइटिस के मरीजों की गिनती काफी बड़ी है.
आइये जानते हैं इससे जुड़े 10 बड़े तथ्य-
1. बढ़ती उम्र के साथ आर्थराइटिस का खतरा बढ़ता है. 60 वर्ष की अधिक आयु के लोगों में यह ज्‍यादा देखा जाता है.
२. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, महिलाओं में इस बीमारी की संख्‍या पुरूषों के मुकाबले दोगुनी है। दुनिया भर में 60 वर्ष से अधिक आयु के 9.6% पुरुषों और 18.0% महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस है.
3. वर्तमान में, अब तक 100 से अधिक विभिन्न प्रकार के आर्थराइटिस का पता लगाया जा चुका है. इसमें कुछ सबसे प्रमुख हैं ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटीइड आर्थराइटिस, सेप्टिक आर्थराइटिस, एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस, जूवेनाइल आइडोपैथिक आर्थराइटिस और गाउट शामिल हैं.
4. ऑस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम रुमेटोलॉजिकल समस्या है और यह भारत में 22% से 39% की व्यापकता के साथ सबसे बड़ी ज्‍वाइंट डिसीज़ है.
5. ऑस्टियोआर्थराइटिस पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्‍यादा कॉमन है.
6. 65 वर्ष से अधिक आयु की लगभग 45% महिलाओं में इसके लक्षण होते हैं, जबकि 65 वर्ष से अधिक उम्र की 70% महिलाओं में OA के रेडियोलॉजिकल प्रमाण दिखाई देते हैं.
7. कई रिपोर्ट्स में यह पाया गया है कि जो लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं, उनमें आर्थराइटिस का खतरा ज्‍यादा होता है, खासकर घुटनों जैसे वजन वाले जोड़ों में.
8. आर्थराइटिस का इलाज संभव है. लगभग सभी इन्‍फ्लेमेट्री आर्थराइटिस ट्रीटेबल हैं. इसकी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं, मगर रेगुलर फॉलो-अप जरूरी है.
9. फ़िज़ियोथेरेपी गठिया के मरीज़ो के जोड़ो में लचीलापन लाने के लिए बेहद फ़ैदमंद होता है
10. अगर इसके शुरूआती लक्षणों को पहचानकर समय से इलाज लिया जाए तो किसी भी पर्मानेन्‍ट डिसेबिलिटी से बचा जा सकता है.
प्रोफेसर (डॉ)अनुप सिंह, स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जराचिकित्सा (जिरियाट्रिक) चिकित्सा विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू में संचालित बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के BHU में नोडल अधिकारी है और गठिया विशेषज्ञ है । उन्होंने बताया कि बुजुर्गों में गठिया की समस्या बहुत आम है और लगभग 50 से 70 प्रतिशत मरीज किसी ना किसी प्रकार के मस्कुलोस्केलेटल(musculoskeletal) रोग से पीड़ित है । बुजुर्ग लोगों में गठिया की बढ़ती समस्या और प्रशिक्षित डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए प्रोफेसर अनुप सिंह द्वारा जेरियाट्रिक मेडिसिन विभाग में जेरियाट्रिक रुमेटोलॉजी में फेलोशिप कोर्स शुरू किया गया है।। शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही अगर डॉक्‍टर से मदद ली जाए तो स्थिति गंभीर होने से बच सकती है। मंगलवार को सिर सुंदर लाल हस्पताल में डॉ अनूप सिंह की गठिया की ओपीडी होती है जहां इलाज़ के साथ परीक्षित फ़िज़ियोथेरपिस्ट द्वारा सलाह भी दी जाती है। फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा निर्धारित व्यायाम कार्यक्रम शरीर के दर्द को कम करने, जोड़ों की गति को बढ़ाने, समन्वय को सुविधाजनक बनाने और श्वसन क्रिया को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार लेकर जीवनशैली में बदलाव लाना जरूरी है। साथ ही उन्होंने अपील की कि चूंकि वायु प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय कारक भी गठिया में योगदान करते हैं, इसलिए हमें अपने आसपास के वातावरण को साफ रखना चाहिए।
Prof. Anoop Singh – 9198332093

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