जल-जंगल-ज़मीन पर अपने हक और अधिकार की लड़ाई तेज करने का आह्वान

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रोहतास जिले के नागाटोली गाँव के एक आदिवासी महिला की वन विभाग के सिपाहियों द्वारा की गई हत्या पूरे पहाड़ की जनता पर हमला है। इसके खिलाफ आवाज़ उठाएं और जल-जंगल-ज़मीन पर अपने हक और अधिकार की लड़ाई तेज करें !

4 जनवरी 2023 को सुबह दस बजे नागाटोली गाँव की 10 महिलाएं जलावन की लकड़ी लेने जंगल में गई थीं। जहाँ जंगल में उनका सामना वन विभाग के सिपाहियों से हो गया और वे महिलाओं को पकड़ने के लिए उन्हें दौडाने लगे। भागने के चक्कर में महिलाओं का जंगल में एक-दूसरे से साथ छूट गया। इसके बाद शाम में जब सभी महिलाएं गाँव पहुँचीं तो उन्होने देखा की एक महिला तो जंगल से लौटी ही नहीं है। इसके बाद गाँव के सभी लोग उस महिला को खोजने जंगल में चले गये। और देर रात तक तक उसे ढूंढते रहे पर उसका कोई पता नहीं चला। इसके बाद गाँव के सभी लोग 5 जनवरी को सुबह ही महिला को खोजने के लिए जंगल में चले गए।

जंगल में काफी तलाश करने के बाद दोपहर 2 बजे महिला का शव उन्हें 30 फुट गहरी खाई में मिला। जिसके चलते वे शव को बाहर निकाल नहीं पाए। इसके बाद गाँव के लोगों ने इसकी सूचना रोहतास थानाध्यक्ष को दिया। पर उसने यह कह कर लाश उठाने से मना कर दिया की यह घटना वन क्षेत्र में घटी है, इसलिए वो मृतक महिला का शव नहीं उठायेगा। इसके बाद गाँव के लोगों ने नौहाटा थाना को इसकी सूचना दी और उसी ने 6 जनवरी को दोपहर में खाई में से लाश को बाहर निकाला। जिसे ले कर गाँव के लोग रोहतास रेंज ऑफ़िस चले गए और वहीं महिला का शव रखकर धरने पर बैठ गए।

गाँव के लोगों ने आरोप लगाया की मृतक महिला का सामूहिक बलात्कार और ह्त्या करके वन विभाग के सिपाहियों ने खाई में फेक दिया था। इसलिए वन विभाग इस हत्या और बलात्कार की जिम्मेदारी ले और अपने दोषी सिपाहियों पर कार्रवाई करे। लेकिन इस हत्या की जिम्मेदारी लेना तो दूर रोहतास के रेंजर हेमचंद्र मिश्रा ने ये कह दिया की महिला जंगल में लकड़ी चोरी कर रही थी। जिसे वन विभाग के सिपाहियों ने देख लिया और वो महिला उन्हें देख कर भागने लगी और अपने से खाई में गिर कर मर गई।

रेंजर के बात से गुस्साए लोगों ने रेंज ऑफ़िस में काफी तोड़फोड़ किया और रेंजर हेमचंद्र मिश्रा को भी पीट दिया। इस घटना की जानकारी होने पर और भीड़ को काबू करने के लिए रोहतास जिले के डीएम और एसपी उसी रात धरना स्थल पर चले आये और समझा-बुझा कर लोगों को शान्त किया व आश्वासन दिया की जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जायेगा। अधिकारियों द्वारा मृतक के परिजनों को सरकारी नियम के अनुसार मुआवजा देने की बात कहते हुए शव को रात में ही पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। अधिकारियों द्वारा कहा गया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट एक हफ्ते बाद यानी 13 जनवरी को आयेगी। इसके बाद ही पता चलेगा की मृतक महिला के साथ बलात्कार हुआ है या नहीं? और उसकी मौत हत्या है या नहीं?

अब तक पुलिस ने दो वन कर्मियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन उनका नाम मीडिया में ओपन नहीं किया है। जब हमलोगों ने इस मामले पर गाँव वालों से बात किया तो उन्होंने बताया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक हमलोग चुप हैं। इसके बाद मृतक महिला को न्याय दिलाने के लिए बड़ा जनांदोलन किया जायेगा।

इस घटना से वन विभाग और आदिवासियों के बीच जंगल पर स्वामित्व के लिए चल रहा संघर्ष बहुत तीखा हो गया है। वन विभाग की इस हरकत से पूरे पहाड़ का माहौल गर्म हो गया है। यहाँ की जनता का साफ कहना है कि वन विभाग कौन होता है हमे जंगल में जाने से रोकने वाला ? हमारा पुरा जीवन जंगल से जुड़ा है। इसलिए कोई हमसे हमारा जंगल नहीं छीन सकता। आज नहीं तो कल वन विभाग को जंगल से जाना होगा क्योंकि जंगल हमारा है वन विभाग का नहीं।

उस महिला पर किया गया हमला पूरे आदिवासी समाज के साथ-साथ यहां रहने वाले सभी लोगों पर हमला है। क्योंकि यहाँ सभी महिलाएं चाहे वो आदिवासी हों या गैर आदिवासी जरुरत पड़ने पर अकेले ही जंगल में चली जाती हैं। यहाँ उन्हे अपने साथ किसी अनहोनी की कोई चिंता नहीं होती है। लेकिन इस घटना ने महिलाओं के साथ-साथ पूरे समाज की चिंता बढ़ा दिया है और वो सोचने लगे हैं कि जंगल में हमें बाहरी लोगों का हस्तक्षेप किसी भी हाल में रोकना होगा। चाहे वो वन विभाग ही क्यूं न हो।

इस घटना पर स्थानीय मीडिया की चुप्पी भी हैरान करने वाली है। कैमूर पठार का बड़ा भाग कैमूर जिले में ही पड़ता है पर यहाँ के अखबारों में इस घटना की रिपोर्टिंग भी ठीक से नहीं हुई। एक-दो अखबारों को छोड़ दें तो बाकी अखबार तो इस घटना पर चुप ही रहे। शायद वन विभाग के खिलाफ़ पूरे पहाड़ की जनता एकजुट न हो जाए, इसलिए वन विभाग मीडिया को मैनेज कर इस मामले को दबाने में लगा है। ऐसे समय में सभी सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है कि वे जनता तक सही सूचना पहुंचाएं। उन्हें जागरुक और संगठित करें। किसी भी परिस्थिति में संघर्ष करने के लिए तैयार करें। क्योंकि ऐसे मामलों पर पूरे पहाड़ के जनता की एकजुटता बहुत जरुरी है। तभी हम अपना जल-जंगल-ज़मीन बचा सकते हैं और इज्जत तथा मान-सम्मान के साथ इस पहाड़ पर रह सकते हैं।

निवेद्क – कैमूर मुक्ति मोर्चा

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