नमस्ते कर नमस्ते कर
हाथ ना मिला प्रिय
ह्रदय से बात कर
नमस्ते कर नमस्ते कर।
ईशावास्यम इदं सर्वं
यत किञ्चजगत्यां जगत,
जान ले मेरे प्रिय भगत
हर प्राणी में प्रभु का वास
कण-कण में उसका ही निवास ,
इस बात को तू कर स्वीकार
नमस्ते कर नमस्ते कर।
हमारी संस्कृति का है उद्घोष
राम का नाम कृष्ण का घोष,
बिना स्पर्श दर्शन साकार
प्रभु का कर सब में साक्षात्कार ,
नमस्ते कर नमस्ते कर।
भीतर मेरे जो रहता है
तुझ में भी है वह विराजमान,
जुड़ा है एक विभु का तार
कर लें हम उसको ही नमस्कार,
सब में देखें उसका ही आकार
नमस्ते कर नमस्ते कर ।
स्पर्श तो है तन का काम
आत्मा का भला इसमें क्या लाभ
छूना कहां जरूरी है
बस पंचतत्व की दूरी है
भाव अपने करो पवित्र
फैलाओ स्नेह सम्मान का इत्र
वसुधैव कुटुंबकम हो आधार
नमस्ते कर नमस्ते कर
अमिता शर्मा