डेंटिस्ट रोमेश सोनी के अध्ययन को प्रस्तुति के  लिए बर्लिन जर्मनी (यूरोपीय ऑसियोइंटीग्रेशन संघ) से निमंत्रण मिला

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डॉ. रोमेश सोनी, प्रोफेसर, प्रोस्थोडॉन्टिक्स, क्राउन ,और ब्रिज, और इम्प्लांटोलॉजी बीएचयू, को बर्लिन, जर्मनी में 28 सितंबर से 30 सितंबर 2023 के बीच वार्षिक वैज्ञानिक सम्मेलन में अपने वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
इस वार्षिक सम्मेलन को ईएओ (यूरोपीय ऑसियोइंटीग्रेशन संघ) और जर्मन ऑरल इम्प्लांटोलॉजी के संघ द्वारा आयोजित किया जाता है, जो यूरोप के सबसे बड़े ऑरल इम्प्लांटोलॉजी संघ है। डॉ एच सी बरनवाल, डीन और हेड फैकल्टी ऑफ डेंटल साइंस, आईएमएस बीएचयू ने ये बताया की स्वीकृत हुए एब्सटे्क्ट को ऑरल इम्प्लांट रिसर्च के आधिकारिक पत्रिका, क्लिनिकल ऑरल इम्प्लांट रिसर्च में प्रकाशित किए जायेगा, जिसका इम्पैक्ट फैक्टर 5.021 है, जो इम्प्लांट डेंटिस्ट्री के क्षेत्र में सबसे उच्च कारक है।ये विभाग के लिए गर्व की बात हैl

डॉ रोमेश सोनी के अध्ययन में कुल 10 प्रतिभागी निष्कलन और समावेश मानदंडों के आधार पर चुने गए थे और उन्हें दो समूहों में बाँटा गया, प्रत्येक समूह में 5 प्रतिभागी थे। समूह 1 (कंट्रोल ग्रुप) में स्वस्थ दांतों वाले व्यक्तियों को शामिल किया गया था, जबकि समूह 2 (टेस्ट ग्रुप) में पूर्णतः दांतों की कमी वाले व्यक्तियों को रखा गया था । सबसे पहले, समूह 2 के प्रतिभागियों को पूर्ण देंचर्स, इंटरिम, और ऑल ऑन फ़ोर इम्प्लांट प्रॉस्थेटिक्स के साथ पुनर्वासित किया गया था। विभिन्न रंग वाले च्युइंग गम का उपयोग करके 5, 10, 15, 20, और 25 के चबाने के चक्रों की क्षमता को मापा गया। चबाने के सत्रों के बीच प्रतिभागियों को थकाने से बचाने के लिए 30 से 60 सेकंड के बीच विश्राम की अनुमति दी गई थी। साथ ही, न्यूरोफिजियोलॉजिकल परिवर्तन रिकॉर्ड करने के लिए कार्यात्मक चुंबकीय रिज़ोनेंस इमेजिंग (fMRI) भी किया गया था। दोनों परीक्षण प्रोथेटिक प्रतिस्थापन के 1 महीने बाद किए गए थे।
डॉ. रोमेश सोनी ने बताया है की चबाना सामान्य स्वास्थ्य को बढ़ावा और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है I बूढ़े लोगों का यदि मौखिक रूप से पुनर्वास न किया जाए तो वे डिमेंशिया का कारण बन सकता हैं I कुछ और  अध्ययन मैं भी ये देखा गया की चबाने और डिमेंशिया की प्रगति के बीच एक सीधा संबंध बताया गया है। उनके अध्ययन में यह देखा गया है की चबाने के दौरान फ्रंटल, पैरिटल और सेरेब्रल क्षेत्रों में बढ़ी एक्टिवेशन देखा गया था I संपूर्ण डेन्चर प्रतिभागी की तुलना में, आल ऑन फोर इम्प्लांट प्रतिभागी में अधिक न्यूरोनल गतिविधि और चबाने का क्षमता देखा गया है I

इस अध्ययन में डॉ रोमेश सोनी, डॉ स्निग्धा सोमी, डॉ बप्पादित्य भट्टाचार्जी, डॉ आशीष वर्मा और डॉ अंकिता सिंह भी शामिल थे I

 

डॉ. रोमेश सोनी, प्रोफेसर एफडीएस आईएमएस बीएचयू

9616803332

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