रौनापार,आज़मगढ़(UP) क्षेत्र में दिनांक 17/08/20 को गांव के ही सामंती गुंडों द्वारा एक दलित लड़के की बुरी तरह पिटाई जातिगत गाली देते हुए तब किया गया जब वह रोज की तरह नजदीक के ही एक मेडिकल स्टोर पर नाईट शिफ्ट में काम करने जा रहा था।
हमलावर रात के अंधेरे में जातिगत गाली देते हुए घर पर पहुंच गए और घर में घुसकर गिरोहबंद तरीके से हाकी,डंडा,चाकू से परिजनों पर हमला करना शुरू कर दिया।
उक्त घटना स्थल पर सूचना देने के बावजूद कोई भी पुलिसकर्मी नहीं पहुँचा,जबकि रौनापार थाना,पीड़ित परिवार के बिल्कुल पास(25 गज दूरी) में ही है।
पीड़ित परिवार वालों ने अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाते हुए कहा कि पिता को हाकी से मारा गया,मां के साथ शर्मनाक बत्तमीजी(छेड़खानी) व मारपीट की गई और घायल लड़के की 70 वर्षीय दादी तक का लाठी से मारकर हाथ तोड़ डाला गया।मेडिकल मुआयना के बाद इनसभी घायलों का इलाज हो पाया है।
पड़ोसियों के बीचबचाव से आरोपी फिर से मारने की धमकी देते हुए फरार हो गए,घर से हमलावर गुंडों का चप्पल और लाठी बरामद भी हुआ, पुलिसप्रशासन ने इसे अपने पास रखा हुआ है FIR के 2 महीने बाद भी अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी तक नहीं किया गया।न्याय मिलना तो दूर की बात है।
सभी आरोपी अभी तक निडर होकर घूम रहे हैं,आये दिन धमकियां दे रहे हैं और पुलिसप्रशासन आरोपियों के घर जाकर चाय नास्ता और दावते उड़ाते रहते हैं।जो पुलिसकर्मियों के जातिवादी,सामंती मनिसिकता,गरीब विरोधी के होने का पूरा लक्षण है।ऐसी हरकत एक लोकतांत्रिक देश मे सांस्थानिक रूप से स्वीकृति होना बेहद शर्मनाक है।
परिजनों ने बताया कि बड़ी मुश्किल से FIR दर्ज कराने के बावजूद अभी तक उक्त आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं।पुलिसप्रशासन उन गुंडों का न केवल साथ बल्कि पीड़ित परिवार पर आएदिन फ़र्ज़ी FIR, जेल में डालने आदि की धमकी देते हुए समझौते का दबाब बना रहे हैं।
परिजन व सभी पड़ोसी मिलकर अपनी न्याय की गुहार और अपराधियों के हमले(जैसा कि अपराधी जान से मारने की रोज धमकियां दे रहे हैं) से सुरक्षा की मांग को लेकर SP ऑफिस आये।ये केस न्यायालय में भी विचाराधीन है।पीड़ित परिवार और ग्रामवासी वाजिब न्याय की मांग को लेकर अपना संघर्ष जारी रखने की बात लगातार बोल रहे हैं।
पीड़ित परिवार ने कहा कि अगर समय रहते उचित न्याय व सुरक्षा नही मिलता है तो आगे हम सभी ग्रामवासियों के साथ सगड़ी तहसील पर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे।जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार औऱ प्रशासन की होगी।
सामाजिक उत्पीड़न विरोधी मोर्चा के लोग पीड़ित परिवार के साथ है,उनके न्याय और सुरक्षा की मांग के संघर्ष के साथ रहेंगे।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आज़ादी के 7 दशकों बाद भी जाति,धर्म,लिंगआर्थिक हैसियत के आधार पर देश मे हर घंटे उत्पीड़न जारी क्यों है?
क्या इनको कानून के सामने समानता का व्यवहार करते हुए न्याय नहीं मिलना चाहिए?
क्या इनको न्याय की उम्मीद करने का कोई हक भी नहीं है?
क्या इनकी गरीबी,लाचारी,कमजोर वर्ग से आने के कारण इनके साथ किया गया हर जुल्म जायज है?
जब इनके परिवार के किसी सदस्य को फ़र्ज़ी केस में जेल में डाला जाएगा या फिर अपराधी इनको जान से मार देंगे तब जाकर प्रशासन, पुलिसव्यवस्था,न्यायपालिका, सरकार और समाज नीद से जागेगा?और तो और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जी तो यहाँ के सांसद भी हैं,उनको और उनके प्रतिनिधियों,कार्यकर्ताओं को तो कम से कम सुध लेना ही चाहिए।पीड़ित परिवार के न्याय के लिए लड़ना चाहिए।ताकि एक गरीब को भी सम्मानजनक जीवन जीने का बराबर का अधिकार हासिल हो सके।
जनसंगठनों,जनप्रतिनिधियों,सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी पीड़ित परिवार का साथ देने के लिए किसी न्योते की जरूरत तो नहीं है?या फिर जान माल के नुकसान हो जाने का इंतज़ार है?
आप सबसे गुजारिश है कि सबसे पहले पीड़ित परिवार की पूरी बात सुने,इनकी वाजिब मांग संबंधित पत्र को पढ़े और अपनी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इनका साथ दीजिये।
सोशल मीडिया,जनपक्षधर मीडिया के साथियों से भी गुजारिश है कि इस घटना का समय रहते संज्ञान लेते हुए अपने अपने तरीके से प्रचारित, प्रकाशित, प्रसारित करें।
धन्यवाद!
विद्यार्थी राहुल