ग्राम सभा की अनुमति के बिना कोई कोयला ब्लॉक बेचा ना जाए

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भारत के वित्त मंत्री ने 16 मई को यह घोषणा किया था कि कोयला खनन का निजीकरण कर दिया जाएगा,  जिससे कोई भी देशी या विदेशी कंपनी कोयला खनन का आवेदन कर सकती है तथा उस कोयले को खुले बाजार में अपने लाभ के लिए भेज सकती है।

अभी तक कोयला खनन का अधिक अधिकार केवल सार्वजनिक सरकारी कंपनियों तक ही सीमित था।  झारखंड सरकार अभी से ही 22 कोयला ब्लॉकों की खरीददारी से 2500 करोड़ रुपया पाने के स्वप्न देख रही है तथा 50 हजार कामगारों की नौकरी का आश्वासन दे रही है।

कोई भी  यह नहीं सोचता कि झारखंड में इतना कोयला और खनिज पदार्थ होते हुए भी यहां की ग्रामीण जनता इतनी भूखी और गरीब क्यों है।  क्या यहां कोयला और खनिज की कमाई केवल ऊपर बैठे लोगों के पेट भरने के लिए है?  जिसके जमीन से कोयला और खनिज पदार्थ निकाला जाता है उन्हें तो कुछ पैसे और मामूली नौकरी का लालच देकर हरदम के लिए  भिखारी बना दिया जाता है।

एक जमीन जमीन के मालिक को चपरासी की नौकरी के सिवा मिल भी क्या सकता है।  अब समय आ गया है कि हम सब लोग इस परिस्थिति को बदलें।

जमीन का मालिक जिसके जमीन के नीचे कोयला है वह उस कोयले का मालिक भी है।  जिस ग्राम में कोयला है उसका मालिक ग्राम सभा है।  भारत के संविधान के PESA Act 1996  और शेड्यूल्ड एरिया के कानून (THE PROVISIONS OF THE PANCHAYATS (EXTENSION TO THE SCHEDULED AREAS) ACT, 1996No.40 OF 1996) के अंतर्गत ग्राम सभा इन खनिजों की मालिक है,  तथा उनकी अनुमति के बिना कोयले की बिक्री नहीं हो सकती।

किसानों की जमीन को लेने की प्रथा को सोच समझ कर आगे बढ़ाने की जरूरत है ताकि किसानों को खाद्य समस्या उत्पन्न ना हो जाए।  आज का झारखंडी किसान थोड़ी सी जमीन पर अपने खाने की वस्तु को पैदा कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है वह जमीन भी यदि चली जाए तो उसकी गरीबी का अंदाज भी आप नहीं लगा सकते।

झारखंड नागरिक प्रयास की मांगें –

  • ग्राम सभा के अनुमति के बिना कोई कोयला ब्लॉक बेचा ना जाए।
  • ग्राम सभा की अनुमति मिलने पर कोयले की  बिक्री और रॉयल्टी का एक बड़ा हिस्सा जमीन मालिक और ग्राम सभा को मिलना चाहिए।
  • यदि खेती जंगल की जमीन हो तो उस ग्रामीण परिवार को नजदीक में ही वैसी जमीन उपलब्ध कराई जाए।
  • जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए खनन की सीमा निर्धारित की जाए।
  • इसे ध्यान में रखने और पता लगाने की जरूरत है कि झारखंड की ग्रामीण जनता इतनी गरीब क्यों है यहां जब काफी मात्रा में कोयला और खनिज का खनन और उससे अत्यधिक लाभ मिलता है।

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