श्वेत कुमार सिंह ने बनाई नृत्य कलाओ में प्रवीण नर्तक के रूप में एक अलग पहचान

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वाराणसी।अप्रैल को पूरी दुनिया में विश्व नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 को हुई। नृत्य दिवस के अवसर पर आज आपको बताते हैं वाराणसी के युवा कलाकार श्वेत कुमार सिंह के बारे में जिन्होंने शास्रीय नृत्य भरतनाट्यम से एक अलग पहचान बनाई है। और अपने नृत्य कलाओ से अनेक युवा वर्ग में शास्त्रीय नृत्य के प्रति आकर्षण किया है।मिर्जापुर के एक साधारण परिवार होने के बाद भी वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ डांस में शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम में डिप्लोमा के साथ ही बीम्यूजय,एमम्यूजय में शिक्षा पुरा किया और बनारस समेत कई शहरों में अपने कलाओ से भरतनाट्यम का सौंदर्य बिखेर कर नृत्य कला में अपनी अलग पहचान बनाई। आज शास्रीय नृत्य भरतनाट्यम में एक शिक्षक के रूप में कई युवा शिष्यों को शास्त्रीय नृत्य सीखा रहे है। आज अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर संवाददाता को बताया कि भरतनाट्यम यह शास्त्रीय नृत्य तमिलनाडु राज्य का है। पुराने समय में मुख्यतः मंदिरों में नृत्यांगनाओं द्वारा इस नृत्य को किया जाता था। जिन्हें देवदासी कहा जाता था। इस पारंपरिक नृत्य को दया, पवित्रता व कोमलता के लिए जाना जाता है। यह पारंपरिक नृत्य पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इनके गुरु शास्त्रीय नृत्य बीएचयू के फैकल्टी ऑफ डांस भरतनाट्यम के पूर्व प्रो. प्रेमचंद होम्बल के निर्देशन में शिक्षा प्राप्त किया।
रिपोर्ट-राजकुमार गुप्ता वाराणसी

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