वाराणसी, 05.10.2023। “सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स (सीजीडी), जिनके मार्ग दर्शन में प्रोफेसर परिमल दास और प्रोफेसर आशोक कुमार, आईएमएस, बीएचयू, स्पेशल एबल्ड फाउंडेशन और प्रोफेसर एस.पी.रे–चौधुरी स्मारक फाउंडेशन के साथ “पीडियाट्रिक रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर्स पर मिशन प्रोग्राम” के तहत एक व्यापक “मस्कुलर डिसट्रोफी पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम” आयोजित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत सम्मानित अतिथियों के स्वागत के साथ हुई, जिसके बाद मालवीय जी के सम्मान में भावभीनी पुष्पांजलि और माला पहना कर समारोह आयोजित किया गया। प्रोफेसर परिमल दास ने सहानुभूति और समावेशिता का स्वरस्थापित करते हुए स्वागत भाषण दिया।
मुख्य अतिथियों प्रोफेसर एस.सी. लखोटिया और प्रोफेसर ए.एन. गंगोपाध्याय ने रोग प्रतिरोध में जेनेटिक परीक्षण के महत्व पर बल दिया, समाज में इस प्रकार के परीक्षण के साथ जुड़े दुष्प्रभाव को हटाने की आवश्यकता को दरकिनार करते हुए अधिक लोगों को जेनेटिक परीक्षण के लिए आग्रह किया। डॉ. अख्तर अली, समन्वयक, सीजीडी, ने आईएमएस, बीएचयू से संदर्भित जेनेटिक परीक्षण के लिए सीजीडी में चल रहे प्रयासों को साझा किया और मस्कुलर डिस्ट्रोफी से प्रभावित होने वाले रोगियों और उनके परिवारों का समर्थन करने में जारी हैं। प्रोफेसर राजीव रमन के जागरूकता व्याख्यान से दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए, जिसमें बीमारी के वैज्ञानिक आधार पर प्रकाश डाला गया, जिसमें बताया गया कि कैसे मामूली उत्परिवर्तन दुर्बल स्थिति पैदा कर सकते हैं। उन्होंने उपलब्ध नवीनतम उपचारों और उपचार विकल्पों पर भी प्रकाश डाला, जो प्रभावित व्यक्तियों को आशा प्रदान करते हैं।
गैर सरकारी संगठनों के विचारक नेताओं, स्पेशल एबल्ड फाउंडेशन के डॉ. उत्तम ओझा और डीआईएससीसी के डॉ. तुलसी ने रोग प्रबंधन और पुनर्वास के महत्व पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की। डॉ. ओझा ने सरकारी राहत अनुदान योजनाओं पर जोर दिया और दवा अनुमोदन में तेजी लाने के लिए वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और रोगी परिवारों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण पलवह था जब “मस्कुलर डिस्ट्रोफी: वर्तमान चुनौतियाँ और रोग प्रबंधन की दिशा में कदम” पर पैनल चर्चा हुई, जिसको डॉ. चंदना बसु ने मॉडरेट किया। इस पैनल में चिकित्सक, शोधकर्ता, और प्रभावित परिवार की प्रतिनिधिता थी और यह संवाद और सवाल पूछने का अवसर प्रदान करता था। इस पैनल में डॉ. तुलसी, डॉ. दीपिका जोशी, प्रोफेसर राजीव रमन, प्रोफेसर अंकुर सिंह, डॉ. अख्तर अली, और डॉ. नीला विशलक्ष्मी जैसे विशेषज्ञों का समावेश था, जो मूल्यवान दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जागरूकता और इंटरएक्टिव सत्र को बढ़ावा देते हैं। मस्कुलर डिस्ट्रोफी से संबंधित कई मिथक और पूर्वाग्रहों का समाधान किया गया। सभी रोगियों को एक विशेष डिज़ाइन कॉफी मग दिया गया। कार्यक्रम का समापन डॉ. गरिमा जैन, एमपीडीएफ, बीएचयू द्वारा धन्यवाद दिया गया।”
इस एक दिवसीय कार्यक्रम ने महत्वपूर्ण ज्ञान का प्रसार किया ही नहीं, बल्कि समुदाय के भावना का भी देख–रेख किया, सबको दिखाते हुए कि दुर्लभ जेनेटिक विकारों को संबोधित करने में एकता का महत्व क्या है। आयोजक प्रोफेसर परिमल दास ने यह भी आश्वासन दिया कि वह भविष्य में भी ऐसे ही आयोजनों का आयोजन करेंगे, जो एक स्वस्थ और जागरूक समाज की दिशा में कदम बढ़ाएगा।