साहित्य जगत

विजय शंकर चतुर्वेदी की कविताः ध्वनि-प्रतिध्वनि

ध्वनि-प्रतिध्वनि नाकाम होकर तुम दफ़्न हो जाना चाहते हो मुझे उबार लिया नाकाम लोगों की नाउम्मीदी ने जिसमें सामूहिकता का प्रकाश स्तंभ जलता था हंसने के लिए मुझे...

पुस्तक समीक्षाः बजरंग बिहारी तिवारी की किताब ‘केरल में सामाजिक आंदोलन और दलित साहित्य’

बजरंग बिहारी तिवारी की किताब 'केरल में सामाजिक आंदोलन और दलित साहित्य' केरल की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियाँ जातियों के मामले में और ज़्यादा...

प्रतिरोधी साहित्य में तीखेपन-धार की कमी की बुनियादी वजह है साहित्यकारों का मेहनतकशों से कटा होनाः वंदना चौबे

ऑनलाइन साहित्यिक पत्रिका तानाबाना में डॉ. मुकेश कुमार ने आर्थिक उदारीकरण के बाद देश में तेजी से उभरे मध्यवर्ग के बीच...

ग़ज़ल-संग्रह ‘गर्म रोटी के ऊपर नमक तेल था’ का भव्य विमोचन

  गर्म रोटी के ऊपर नमक-तेल था, माँ ने हँसकर दुलारा तो अच्छा लगा।हर घड़ी जीतने का चढ़ा था नशा, अपने बच्चों से हारा तो अच्छा...

Latest news

‘कामरेड’ को हर चीज शुद्ध चाहिए

संपादकीय टिप्पणीः कल को हम न होंगे तो इस लक्षित कविता का मर्म बताने वाला भी कोई नहीं होगा। इस...

… अंजुरी से पानी की धार टूटती नहीं थी

बनिहार थे तुम गठीली और सांवली तरुण देह लोहे और मिट्टी में थोड़ा ताँबा सानकर बनी थी अब ये कोई बड़ी बात...

 स्मृति दिवस पर समाजवाद के स्वप्नदृष्टाओं को किया याद

इंदौर। विचार अभियान संस्था द्वारा शहीद ए आजम भगत सिंह, क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश की शहादत तथा समाजवादी...

Must read

‘कामरेड’ को हर चीज शुद्ध चाहिए

संपादकीय टिप्पणीः कल को हम न होंगे तो इस लक्षित...

… अंजुरी से पानी की धार टूटती नहीं थी

बनिहार थे तुम गठीली और सांवली तरुण देह लोहे और मिट्टी...