कविता

पर 21वी सदी ने अब तक एक भी क्रांति नही देखी है

बीसवीं सदी ने कई क्रांतियाँ देखी पर 21वी सदी ने अब तक एक भी क्रांति नही देखी है जबकी इसका दो दशक बीत चुका है और तीसरा...

प्रेम को ज़िंदा रखने की ज़िद भी करती है स्त्री

स्त्री जब प्रेम करती है तो पृथ्वी अपनी धुरी पर थोड़ा तेज़ घूमने लगती है स्त्री जब प्रेम करती है तो यह ब्रह्मांड थोड़ा फैल जाता है स्त्री...

द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सत्य ही, हमारा हथियार होगा

कविता लोहे का दुर्ग तेरे दुर्ग की लौह प्राचीरें जंग खाकर जर्जरित हो चुकी हैं अब उसमें वेसुध सोये हुए लोग जाग रहे हैं- धीरे - धीरे, तेरी लूटमार अब दम तोड़...

इतनी भी क्या जल्दी थी कामरेड!

सत्तर अस्सी के दशक में संघर्षरत् बहुत ही करीबी साथी कामरेड शशि शर्मा को याद करते हुए:- इतनी भी क्या जल्दी थी कामरेड! माना कि हम...

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डिक्लास-डिकास्ट के फर्जी पद-बंध की जुमलेबाजी के बीच ऐक्टिविस्ट का कुबूलनामा

दशकों तक किताबी कम्युनिस्ट बने रहने के बाद पिछले दिनों दुनिया को बदलने के वास्तविक जमीनी काम में लगा...

प्रैग्मेटिक स्त्री-पुरुष और उनके बीच के प्रेम पर चंद बातें

प्रेम न हाट बिकाए! प्रेम संबंधों को लेकर इन दिनों जोरदार बहस चल रही है। कुछ लोग इस कठिन घड़ी...

समाजी तब्दीली की बयार की वाहक काशी के लेनिन की वामांगी श्रुति नागवंशी

मानव अधिकारों की एक ऐसी प्रबल पक्षधर, जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के पददलितों, वंचितों और उपेक्षितों के उत्थान...

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