*वर्गीय एकता*
गरीबों का एक वर्ग
हर जातियों में
हर धर्मों में
अशिक्षित
बेरोजगार
कुपोषित
हत्या-बलात्कार से त्रस्त
आतंकवाद से पीड़ित
दो देशों के युद्ध में
सबसे त्रस्त वर्ग
महँगाई की सबसे तेज मार
शोषित वर्ग ही झेलता है
समस्याएं
म पंडित देखती हैं
न चमार
एक प्रतिशत के पास
निन्नानवे प्रतिशत पूँजी
निन्नानवे प्रतिशत
एक प्रतिशत पूँजी में
गुजर-बसर करा रहा है
एक का हित
अधिकतम मुनाफा
दूसरा प्रतिदिन
बीस रूपये में
जीवन-यापन करता है
वर्ग-शत्रु को
हम पहचान ही नहीं पाते
हम अपना दुश्मन
जाति-और धर्म में
खोजते रहते हैं
हाँ, यह सही है
जाति और धर्म की वजह से
वर्गीय एकता
कायम नहीं हो पाती है
दुश्मन मजे में
हमारा शोषण
करने को स्वतंत्र रहता है
हमारा मुँह
दुश्मन की तरफ नहीं
दोस्त की तरफ है
हम हथियार
दोस्तों पर तान रखे हैं
आओ पंडित!
आओ चमारों!
ऊँच-नीच के ऐंठ को छोड़ो
जाति-धर्म के ग्रंथि को तोड़ो
जुल्म का बढ़कर गर्दन पकड़ो
शोषण के कारा को तोड़ो
दुश्मन के हाथों को मोड़ो।
आर डी आनंद
28.10.2016