वाराणसी। हिंदी विभाग, बी एच यू में प्रो गरिमा श्रीवास्तव के उपन्यास ‘आउत्स्विज एक प्रेम कथा’ का लोकार्पण और चर्चा आयोजित हुई। लेखिका ने कहा कि उपन्यास गहरी अंत: प्रेरणा और गहरी सहानुभूति से लिखा जाता है। इस उपन्यास का उद्देश्य पाठकों को रुलाना नहीं है। यह टूटे प्रेम की सिर्फ कथा नहीं और न इतिहास बताना है, बल्कि यह कहना कि स्त्रियाँ स्वाभिमान से जीना चाहती हैं। वक्तव्य देते हुए प्रो श्रद्धा सिंह ने कहा कि यह उपन्यास परिपक्व प्रेम कथा है। युद्घ की दर्दनाक कथा के साथ स्त्री जीवन का स्वाभिमान है। इसमें इतिहास के साथ वैज्ञानिक सूत्र भी हैं। प्रो आशीष त्रिपाठी ने कहा कि इस उपन्यास का गद्य अन्तर्मुखी है और एक गहरा अवसाद लगातार साथ चलता है। कई कथाओं के साथ वृतांत हैं। उपन्यास की संरचना पर लेखिका की पूर्व प्रकाशित किताब ‘देह ही देश’ का गहरा प्रभाव है। प्रो प्रभाकर सिंह ने कहा कि यह उपन्यास युद्घ, प्रेम और स्त्री के त्रिकोण पर केंद्रित है। शिल्प का खास प्रयोग है। इसे स्त्री विमर्श के नए आयामों के साथ पढ़ना चाहिए , सजग इतिहास बोध से ही पढ़ना चाहिये। शोधार्थी ऋषभ पांडेय ने उपन्यास पर संवाद करते हुए अपने विचार रखे।आरंभ में हिंदी विभाग की ओर से लेखिका का सम्मान प्रो राज कुमार ने किया। स्वागत वक्तव्य प्रो नीरज खरे और संचालन डॉ विवेक सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन शोध छात्र सचिन कुमार गुप्ता ने किया। इस अवसर अध्यापक, शोध छात्र और विधार्थी मौजूद रहे।
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