विशद कुमार
विगत 20 जनवरी को पटना में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों पर बर्बर पुलिसिया दमन, सोशल मीडिया के माध्यम से अभिव्यक्ति की आजादी पर बिहार सरकार के हमले के खिलाफ एवं 94 हजार टीईटी उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों की बहाली की लंबित प्रक्रिया अविलंब पूरी करने व शिक्षकों के तमाम रिक्त पदों को अविलंब भरने की मांगों को लेकर बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के बैनर तले आज भागलपुर स्टेशन चौक पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन और प्रतिवाद के तौर पर प्रदर्शन किया गया।
इस मौके पर नुक्कड़ सभा को संबोधित करते हुए बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन के अभिषेक आनंद और चंदन पासवान ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से लंबित शिक्षक नियोजन प्रक्रिया को पूरा करने के जायज मांगों पर 18 जनवरी से पटना के गर्दनीबाग में चल रहे शिक्षक अभ्यर्थियों के आंदोलन की आवाज को बिहार सरकार अनसुना तो कर ही रही है, बल्कि उल्टे विगत 20 जनवरी को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों पर बर्बर पुलिसिया दमन किया गया। आंदोलनकारियों पर बर्बर दमन ढाया गया। अत: सरकार द्वारा नौजवानों के दमन व अपमान को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अवसर पर विभूति और कुंदन कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार और भाजपा की सरकार शिक्षा विरोधी है, छात्र-युवा विरोधी है। बिहार में 3 लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं। शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए तमाम रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की प्राथमिक जरूरत है। लेकिन सरकार शिक्षक बहाली प्रक्रिया में टालमटोल के जरिए शिक्षा व्यवस्था और छात्र-युवाओं के साथ मजाक कर रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सौरव राणा और राजेश रौशन ने कहा कि बिहार सरकार घोर लोकतंत्र विरोधी है। एक तरफ लोकतांत्रिक आंदोलन का दमन कर रही है तो दूसरी तरफ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने वाला सरकारी आदेश निकाला गया है। सरकार, मंत्रीगण, सांसद, विधायक एवं सरकारी पदाधिकारियों के खिलाफ लिखने पर पाबंदी लगाई जा रही है,यह काफी खतरनाक है।
साजन ने कहा कि बिहार सरकार अविलंब 94000 अभ्यर्थियों का कॉउंसिलिंग और नियुक्ति पत्र जारी करने की तिथि घोषित करे और सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने वाले आदेश को वापस ले।
पुतला दहन और प्रतिवाद प्रदर्शन में सूरज, कुणाल, अनिल, अनुज, अंगद, नितेश, अभिनंदन, गोलू, उत्तम सहित अन्य कई मौजूद थे।
बताते चलें कि पिछले 21 जनवरी 2021 को बिहार पुलिस मुख्यालय का आर्थिक एवं साईबर अपराध प्रभाग द्वारा ज्ञापांक — 13/2021/विविध/गामा—1/आ0अप0ई0 के आलोक में सरकार के सभी सचिव बिहार, पटना को एक पत्र जारी कर कहा गया है कि ”कतिपय व्यक्ति, संगठनों द्वारा सोशल मिडिया एवं इंटरनेट के माध्यम से सरकार, माननीय मंत्रीगण, सांसद, विधायक एवं सरकारी पदाधिकारियों के संबंध मेें आपत्तिजनक/अभद्र एवं भ्रांतिपूर्ण टिप्पणियां की जाती हैं। यह विधि विरूद्ध एवं कानून के प्रतिकूल है तथा साईबर अपराध की श्रेणी में आता है। इस कृत के लिए ऐसे व्यक्तियों, समूहों के विरूद्ध विधि—सम्मत कारवाई किया जाना समीचीन प्रतीत होता है।”
पत्र में आगे कहा गया है कि ”उल्लेखनीय है कि आर्थिक अपराध इकाई, आर्थिक अपराध के साथ—साथ साईबर अपराध की नोडल संस्थान है। अत: आप सभी से अनुरोध है कि उक्त प्राकृति के मामले संज्ञान में आने के पर कृपया आर्थिक अपराध इकाई, बिहार, पटना को विस्तृत सूचना के साथ अवगत कराने की कृपा की जाय ताकि ऐसे मामले में आर्थिक अपराध इकाई द्वारा संज्ञान लेकर जांचोपरांत संबंधित व्यक्ति, समूहों के विरूद्ध विधिनुकूल प्रभावी कारवाई की जा सके।” जिसे लेकर बिहार सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले के रूप में देखा जा रहा है और इस तानाशानी घोषणा के विरोध में बिहार में नीतीश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।