बीएचयू में नेशनल एजिंग सेंटर के निर्माण को मिली मंजूरी

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डॉ. अनूप सिंह

वाराणसीः चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में यह जानकर खुशी की लहर दौड़ गई कि भारत सरकार के माननीय कैबिनेट सदस्यों ने आईएमएस बीएचयू में नेशनल प्रोग्राम फॉर हेल्थकेयर ऑफ द एल्डरली (एनपीएचसीई) के तहत नेशनल सेंटर ऑफ एजिंग के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। माननीय स्वास्थ्य मंत्री महोदय द्वारा माननीय सांसद (राज्यसभा) श्रीमती सीमा द्विवेदी मैडम को एक पत्र द्वारा यह सूचित किया गया है, जिन्होंने बीएचयू में एनसीए के निर्माण के प्रस्ताव का समर्थन किया था। एनपीएचसीई के नोडल अधिकारी और जराचिकित्सा विभाग के पहले विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनुप सिंह ने बताया कि आईएमएस को यह केंद्र मिलना बहुत गर्व की बात है। उन्होंने इसके लिए माननीय प्रधान मंत्री महोदय, माननीय स्वास्थ्य मंत्री महोदय, माननीय सांसद श्रीमती सीमा द्विवेदी महोदया और बीएचयू प्रशासन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों के लिए वृद्धावस्था स्वास्थ्य देखभाल सुविधा को मजबूत करना और उन्हें स्वास्थ्य आवश्यकताओं के लिए “आत्मनिर्भर” बनाना माननीय प्रधान मंत्री सर का दृष्टिकोण है। आयुष्मान भारत योजना इसे उमेश को और मज़बूती देगी।
बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण दीर्घायु में वृद्धि के कारण वृद्धों की आबादी बढ़ रही है। 1947 में 32 वर्ष की जीवन प्रत्याशा से अब यह 2021 में बढ़कर 70 वर्ष हो गई है। अनुमान है कि 2050 तक बुजुर्गों की आबादी दोगुनी हो जाएगी। भारत सरकार ने बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीएचसीई) के तहत आईएमएस बीएचयू को 2014 में क्षेत्रीय जराचिकित्सा केंद्र(रीजनल जेरिएट्रिक सेंटर) के रूप में नामित किया था और प्रोफेसर अनुप सिंह इसके नोडल अधिकारी हैं।
प्रोफेसर अनुप सिंह के नेतृत्व में 2018 में जराचिकित्सा चिकित्सा विभाग बनाया गया और 1 वर्ष के भीतर एमडी जराचिकित्सा पाठ्यक्रम शुरू किया गया। आईएमएस बीएचयू में जराचिकित्सा सुविधा विकसित करने के लिए माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी ने एनपीएचसीई के तहत क्षेत्रीय जराचिकित्सा केंद्र को 200 बिस्तरों वाले नोशनल सेंटर ऑफ एजिंग में अपग्रेड करने के हमारे प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

एनपीएचसीई के परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार नेशनल एजिंग सेंटर एक बहुमंजिला इमारत होगी जिस में

  1. मल्टीस्पीसियोलिटी जेरिएट्रिक ओपीडी चलेगी
  2. गठिया क्लिनिक, मेमोरी क्लिनिक आदि जैसे विशेष क्लिनिक होंगे।
  3. मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर के साथ सर्जरी का भी प्रावधान होगा।
  4. अलग जाँच और रेडियोलॉजिकल सुविधा,
  5. पुनर्वास सेवाएँ और डे केयर
  6. आईसीयू
  7. प्राइवेट वार्ड.
  8. साथ ही यह केंद्र जराचिकित्सा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास में भी मदद करेगा।
  9. वरिष्ठ चिकित्सक और सीनियर रेसिडेंट की सीटों में वृद्धि के साथ स्नातकोत्तर एमडी जराचिकित्सा सीटों को 3 से बढ़ाकर 15 किया जाएगा।
  10. वृद्धावस्था के क्षेत्र में अनुसंधान और बुजुर्गों के लिए विशिष्ट उपचार के लिए दिशानिर्देश बनाना

बुजुर्गों के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली विकसित करना माननीय प्रधान मंत्री सर का ध्यानाकर्षण क्षेत्र है। बुजुर्गों के लिए ऐसी सुविधा का निर्माण बुजुर्गों को आत्मनिर्भर बनाएगा और यूपी और आसपास के राज्यों के वृद्ध रोगियों के लिए एक वरदान होगा।
सम्पर्क सूत्र
प्रो. अनूप सिंह, मो0नं0.9198332093

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