भगत सिंह छात्र मोर्चा द्वारा मानवाधिकार दिवस पर किया गया कार्यक्रम
जैसा की हम सभी जानते हैं 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। आज के समय में अपने देश और विदेशों मे मानवाधिकार को लेकर जो स्थिति बनी हुई है और लोगों को उनके मानवाधिकार के बारे मे बात करने के लिए भगत सिंह छात्र मोर्चा द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन 9 दिसंबर को आर्ट्स फैकल्टी में किया गया। इस कार्यक्रम को लेकर साथियों मे काफी उत्सुकता दिखी। इस कार्यक्रम के पूर्व संगठन के साथियों द्वारा कैंपस में पोस्टर लगाए गए और पर्चे बाँटे गए।
कार्यक्रम की शुरुआत इतिहास विभाग से प्रोफेसर ए. गंगाथरन ने बात रखते हुए बताया कि समाज मे संघर्ष से ही मानवाधिकार की संकल्पना आयी। अधिकार संघर्ष से ही मिलता है। संघर्ष से हमें चेतना आती है और हम अपने अधिकार को लेकर लड़ते हैं।
हिंदी विभाग के प्रोफेसर प्रियंका सोनकर ने लैंगिक आधार पर मानवाधिकार के हो रहे हनन पर विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि महिलाओं को इस समाज में दोयम दर्जे का रखा गया है। हर रोज बलात्कार, दहेज़ उत्पीड़न, डायन बोलकर नंगा करके घुमाना जैसे अनेकों जुर्म होता रहता है।
दर्शन विभाग के प्रोफेसर प्रमोद बागड़े ने ब्राह्मणवादी-पूंजीवादी-साम्राज्यवादी गैर बराबरी, दमन, शोषण, उत्पीड़न पर बात रखी। देश भर में जातिगत व महिलाओं के हत्याएं देखें तो भवंरी देवी हत्याकांड से लेकर हाल में हुए गोहरी हत्याकांड से समाज की गैरबराबरी को स्पष्ट करता है। इसी तरह पूरे देश भर में पूंजीपतियों और साम्राज्यवादियों के कॉर्पोरेट लूट की ही देन है जो सरकारी संस्थाओं को प्राइवेट हाथों में सौंपा जा रहा है। आदिवासियों की हत्याएं की जा रही है और उनकी जल जंगल ज़मीन की लूट की खुली छूट दी जा रही है। इससे देश भर में गैरबराबरी और भी ज्यादा बढ़ेगी। इससे मानवों के अधिकारों पर और भी दमन बढ़ेगा।
सिद्धि ने बताया कि भगतसिंह छात्र मोर्चा इस कार्यक्रम के लिए हॉल की मांग की थी पर आर्ट्स फैकल्टी और सोशल साइंस फैकल्टी के डीन ने हॉल देने से कॉउंसिलिंग का बहाना देकर मना कर दिया। जबकि यहां लगभग हर रोज़ कार्यक्रम चल रहे हैं। भगतसिंह छात्र मोर्चा ने अपने मानवाधिकार पर कार्यक्रम करने के मूलभूत मानवाधिकार लिए यहां भी संघर्ष करते हुए आर्ट्स फैकल्टी ग्राउंड में ही प्रोग्राम को किया और प्रशासन को दिखा दिया कि हम ऐसे ही अपने अधिकार के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
राहुल, इप्शिता, अभय, नीतीश ने भी अपनी बातचीत में यह कहा कि हमें हमेशा ही अपने अधिकार के लिए लड़ना पड़ता है, तभी हमें अपने अधिकार मिलते हैं।
इस कार्यक्रम में समय, अवनीश, अविनाश, तेजस्विता, सपना, पूजा, शिवांगी, हर्षित, सुनील समेत लगभग 80 लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन आकांक्षा आज़ाद ने किया।