‘आयुर्वेद प्राचीनकाल से ही लोगो के स्वास्थ्य की रक्षा करता रहा है’

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वाराणसीः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के सेमिनार कॉम्प्लेक्स में अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ (स्नातकोत्तर) सम्मेलन एवं द्रव्यगुण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष प्रो राजेन्द्र प्रसाद, प्रो जे एस त्रिपाठी, आयोजन सचिव डॉ राशि शर्मा और कार्यक्रम के संयोजक डॉ अजय कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया गया।
कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष प्रो राजेंद्र प्रसाद ने AIASPGA संगठन के बारे में, इसकी स्थापना एवं मुख्य उद्देश्य के बारे में बताया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अजय कुमार ने आज के कॉन्फ्रेंस की थीम और कार्यक्रम की रुपरेखा के बारे में बताया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो अरुण कुमार त्रिपाठी, विशिष्ट अतिथि प्रो एस एन संखवार, निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, प्रो पी के गोस्वामी, संकाय प्रमुख, आयुर्वेद संकाय, पद्म श्री प्रो मनोरंजन साहू, पूर्व निदेशक अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली एवं पूर्व संकाय प्रमुख, आयुर्वेद संस्थान तथा प्रो शशि सिंह, प्राचार्य, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, वाराणसी के द्वारा भगवान धन्वंतरि के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं महामना को माल्यार्पण के पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
मुख्य अतिथि प्रो अरुण कुमार त्रिपाठी ने भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा चलाये जा रहे आयुष हेल्थ एन्ड वैलनेस सेन्टर के बारे में बताया। उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य है जहाँ आयुष पालिसी और योग पालिसी लागू है। आयुर्वेद की शिक्षा ऐसी हो जो छात्रों को मल्टी डायरेक्शनल हो और उनको एक सफल चिकित्सक बनाये। वर्तमान समय में हो रहे भिन्न भिन्न रोगो के रोकथाम पर आयुर्वेद चिकित्सा से आसानी से हो सकता है लाभ। विषम ज्वर की चिकित्सा मात्र क्वार महीने में तुलसी की पत्तियां एवं काली मरीच के सेवन करने से पूरे वर्ष बचा जा सकता है।
चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो एस एन संखवार ने बताया कि आयुर्वेद प्राचीनकाल से ही लोगो के स्वास्थ्य की रक्षा करता रहा है वर्तमान समय में आयुर्वेद और पंचकर्म जैसी हानि रहित चिकित्सा के अधिक से अधिक प्रयोग करने की सलाह देते हुए यह बताये कि सबसे प्राचीन शल्य कर्म पथरी के बारे में सुश्रुत संहिता में मिलता है। जो हमारे भारतीय चिकित्सा पद्धति की विद्वता एवं वैज्ञानिकता को पुष्ट करता है।
आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रो पी के गोस्वामी ने आयुर्वेद संकाय में हो रहे आयुर्वेद के नए शोध विधा के बारे में बताते हुए यह बताये कि शुरुआत में ही यदि रोगी आयुर्वेद की चिकित्सा में आ जाये तो उसे जल्द ही रोगों से मुक्ति मिल सकती है। जो प्राथमिक चिकित्सा हमें किचन सामाग्री में ही उपलब्ध है बस आवश्यकता है कुशल वैद्य के सलाह की ।
पद्म श्री प्रो मनोरंजन साहू जी ने आयुर्वेद के पिछड़े पन में बाधक कारणों पर प्रमुखता से अपनी बात रखी। आयुर्वेद में अधिक से अधिक साक्ष्य आधारित शोध, और आयुर्वेद को मिलने वाले बजट को बढ़ाने पर जोर दिया।।
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो शशि सिंह ने स्त्री और प्रसूति रोगों में आयुर्वेद के प्रयोग और विभिन्न खान पान के तरीकों पर चर्चा की। और कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो वी डी अग्रवाल द्वारा किया गया ।
आज की संगोष्ठी में लगभग 10 राज्यो से 300 लोगो ने भाग लिया और कुल 4 प्लेनरी सेशन और 20 वैज्ञानिक सत्रों में लगभग 200 शोध पत्र पढ़े गए। इनके अलावा 10 विशिष्ट व्यख्यान भी हुए जिसमे प्रो एम साहू, प्रो वी डी अग्रवाल, प्रो आनंद चौधरी, प्रो के के द्विवेदी, प्रो जे एस त्रिपाठी, प्रो रमाकांत यादव, डॉ एस पी गुप्ता जैसे विद्वानों ने अपना व्याख्यान दिया।
द्रव्यगुण विभाग के प्रो बी राम, डॉ राशि शर्मा, डॉ अनुभा और डॉ अजय कुमार को आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए आयुर्वेद भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर क्लिनिकल पंचकर्म बुक का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुभा श्रीवास्तव और डॉ देवानंद उपाध्याय ने किया धन्यवाद ज्ञापन डाक्टर राशि शर्मा किया ।
इस अवसर पर प्रोफेसर संगीता गहलोत,प्रो नीरु नथानी , वैद्य सुशील कुमार दूबे, डाक्टर मंगला गौरी, डाक्टर नितिन शर्मा प्रो पालीवाल, डाक्टर सनत कुमार डाक्टर ममता आदि उपस्थित रही ।
भवदीय
वैद्य सुशील कुमार दूबे
कार्यक्रम मीडिया प्रभारी
बी एच यू वाराणसी

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