- विशद कुमार
23 मार्च को बिहार विधानसभा में जो हुआ, वह आजाद भारत के इतिहास में शायद पहली घटना है, जब विधानसभा के अंदर हथियार बंद पुलिसबल व सफेदपोश गुंडों ने विपक्ष के विधायकों पर हमला किया। जहां महिला विधायकों को भी नहीं बख्शा गया, उनके साथ भी बदसलूकी की गई। ऐसे में यह सवाल उठना लजिमी हो जाता है कि विधानसभा सभा के भीतर ऐसे कुकृत्य का जिम्मेवार कौन है? तब इस सवाल पर एक और सवाल खड़ा होता है कि सदन चलाने की जिम्मेदारी किसकी है? जवाब स्पष्ट और साफ है कि सदन चलाने की जिम्मेदारी विधानसभा अध्यक्ष की होती है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उक्त घटना का टिकरा विधानसभा अध्यक्ष के सिर पर फोड़ते हुए कहते हैं कि सदन चलाने की जिम्मेदारी विधानसभा अध्यक्ष की होती है, अत: उनके निर्देश पर ही बाहरी हस्तक्षेप हुआ है। वहीं नीतीश कुमार के बचाव में गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक खड़े नजर आते हैं। दोनों ने स्पष्ट कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर ही पुलिस ने अंदर प्रवेश किया। जबकि विपक्ष का कहना है कि ऐसा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर हुआ है। अगर ऐसा है तब एक और सवाल खड़ा होता है कि क्या विधानसभा अध्यक्ष का अपना कोई अस्तित्व नहीं है? बता दें कि विधानसभा सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा एनडीए गठबंधन के अंतर्गत भाजपा से हैं।
बता दें कि 26 मार्च को किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद के दौरान सीपीएम्, भाकपा माले एवं राजद ने सयुंक्त रूप से बिहार के पटना में एक मार्च निकाला। मार्च के दौरान विपक्ष तीनों कृषि कानून व पुलिस राज अधिनियम 2021 को वापस लेने संबंधी नारों के साथ साथ ”नीतीश कुमार बिहार की जनता से माफी मांगो, डीजीपी व डीएम पर कार्रवाई करो, लोकतंत्र की हत्या बंद करो, बुद्ध की धरती को पुलिसिया राज में बदलने की साजिश मुर्दाबाद, बिहार को यूपी बनाना बंद करो,” के बैनर पोस्टर के साथ नारा लगाता रहा।
उल्लेखनीय है कि पहले तो एनडीए गठबंधन के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस घटना पर मुंह चुराते नजर आये लेकिन विपक्ष ने जब घेरना शुरू किया तो उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया और कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी विधानसभा अध्यक्ष की होती है ना कि हमारी। लेकिन उन्होंने अभी तक इस घटना पर कोई अफसोस जाहिर नहीं किया। जो विपक्ष के आरोप को ठोस आधार देता है, जो इस बात का प्रमाण है कि इस घटना से नीतीश कुमार की आत्मा को कोई ठेस नहीं पहुंची है, बल्कि वे अपना दामन को बचाने के लिए अपनी सफाई दे रहे हैं।
इन तमाम मसलों पर कई सवालों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता व दलित चिंतक डा. अंजनी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूछते हैं कि नीतीश कुमार ने अपने दामन को बचाते हुए लोकतंत्र के दामन पर लगे कलंक को मिटाने के लिए कौन सा ठोस कदम उठाया? जवाब साफ है कि अब तक कुछ भी नहीं। जबकि खुद नीतीश कुमार मानते हैं कि इसके लिए जिम्मेवार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा है। लेकिन अब तक वो अपने पद पर बने हुए हैं। नीतीश कुमार सुशासन की बात करते हैं लेकिन इस घटना पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। वहीं दूसरी तरफ राजद के नेता सहित महागठबंधन के तमाम पार्टियों के नेता विधानसभा के अध्यक्ष को सवालों के घेरे में लाने से बचते रहे हैं और वो सिर्फ नीतीश कुमार को इस घटना के लिए जवाबदेह मानते हैं, जबकि कायदे से सोचा जाए तो इस घटना के लिए जिम्मेदार मुख्यमंत्री से पहले विधानसभा अध्यक्ष हैं, क्योंकि सदन चलाने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की नहीं, विधानसभा अध्यक्ष की होती है। आखिर क्या मजबूरी है कि विपक्ष विधानसभा अध्यक्ष पर सवाल उठाने से कतरा रहा है?