जमशेदपुर: 9 अगस्त अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस ‘बिरसा सेना’ द्वारा साकची जमशेदपुर में मनाया गया। अवसर पर साकची गोलचक्कर का बिरसा चौक के नाम से नामकरण किया गया।इस मौके पर झारखण्ड आंदोलनकारी और समाजसेवी बाबू नाग ने कहा कि आदिवासी समुदाय दूरदर्शी, संस्कारी, जागरूक और प्रकृति प्रेमी रहे हैं। वे शान्ति प्रेमी हैं, परन्तु जब—जब उनके अधिकारों और उनकी संस्कृति पर हमला हुआ है, तब-तब यह समुदाय अक्रामकता से जवाब दिया है। हम आदिवासियों को कुछ भी बिना मांगे नहीं मिला हमने लड़ कर लिया है। आज जिस तरह से आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमला बढ़ता जा रहा है इसे हम बर्दास्त नहीं कर सकते है। हम प्रकृति और शांति में आस्था रखते हैं और इस आस्था को किसी भी कीमत पर हम टूटने नहीं देंगे। हमारा अगला आंदोलन 1932 के खतियान लागू कराना होगा।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जुगसलाई के विधायक मंगल कालिन्दी ने कहा कि हम झारखण्ड के विकास के खिलाफ नहीं है। हम हाथी को सुरक्षित रखना चाहते न कि उड़ाएंगे। जमीन और कामगार हमारा है केवल पूंजी की व्यवस्था बाहर से चाहिए। हम ऐसे उद्योग के पक्षधर है जिसमें जमीन के मालिक का शोषण नहीं हो बल्कि वे भी उस उद्योग के अभिन्न अंग हों और यहां के लोगों को नौकरी में प्राथमिकता मिले। अंत में विधायक ने कहा कि 15 नवंबर को विधिवत तरीका से साकची गोलचक्कर का बिरसा चौक का उद्घाटन भगवान बिरसा की मूर्ति स्थापित करके किया जाएगा।
अंत में बिरसा सेना के अध्यक्ष दिनकर कच्छप ने कहा कि आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहला स्वतंत्रता संग्राम के विगुल फूंका था। हम अपने महापुरुषों को नमन करते हैं और उनकी शहादत को भूलेंगे नहीं। पूरे झारखंड में उनके नाम से सामाजिक स्थानों, बिल्डिंग, मैदान, पार्क, रेलवे स्टेशन, शिक्षण संस्थान अन्य जगहों का नामकरण होगा और इस सिलसिले में साकची चौक का बिरसा चौक का नामकरण किया गया है।
इस कार्यक्रम में बलराम कर्मकार, सुनील सोरेन, राजू कर्मकार, गोविंद कर्मकार, सुलोचना देवी, बादल लागुरी जागो संगठन के सुमन मुखी, रामष मुखी, भीम आर्मी के कार्तिक मुखी, सहित भोला रवि दास,अनुप रविदास अन्य लोग उपस्थित थे।