सर्वकालिक शास्त्र है गीता, इस ग्रंथ को करें हृदयगंम

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मोहग्रस्त अर्जुन के व्याज  से भगवान श्री कृष्ण द्वारा समस्त मानव जाति को दिया गया संदेश ही गीता शास्त्र है। जिसके श्रवण मनन एवं प्रयोग से मनुष्य परम गति को प्राप्त कर लेता है, उक्त विचार मालवीय भवन में रविवासरीय गीता प्रवचन के उद्घाटन सत्र में अध्यक्ष पद से बोलते हुए मालवीय भवन के मानद निदेशक प्रोफेसर राजाराम शुक्ल ने व्यक्त किए। प्रोफेसर शुक्ल ने कहा कि गीता सर्वकालिक एवं सर्वदेशिक शास्त्र है।
        मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित संस्कृत विद्याधर्म विज्ञान संकाय के मनोनीत आचार्य प्रोफेसर हृदय रंजन शर्मा ने कहा कि पूज्य मालवीय जी ने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए अनेक कार्यक्रमों को प्रारंभ किया था साथ ही उनके आध्यात्मिक विकास के लिए प्रत्येक रविवार स्वयं गीता प्रवचन देते थे, यह उनके द्वारा प्रारंभ की गई परंपरा है, इससे विद्यार्थियों को अवश्य लाभाविंत होना चाहिए।
      आरंभ में भजन गायन, संगीत संकाय के मनोज तिवारी एवं शुभम मिश्रा ने किया। कुलगीत का वाचन  स्नेहा सिंह ने गीता का वचन नवनीत पाठ में किया।
 सत्र का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन गीता समिति के संयुक्त सचिव डॉ. शरदिंदु कुमार त्रिपाठी ने किया।  इस अवसर पर प्रो. मलिक, प्रो. लता शर्मा, प्रो. देवेंद्र मोहन आदि भारी संख्या में विद्वान एवं छात्र उपस्थित थे।

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