विशद कुमार
एक प्रेस बयान जारी कर अरविंद उराँव सामाजिक कार्यकर्ता एवं मुख्य संयोजक, राष्ट्रीय आदिवासी-इंडीजीनस धर्म समन्वय समिति, भारत ने बताया कि पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत झारखंड के आदिवासियों द्वारा आज 20 सितंबर को अपनी अलग पहचान ट्राईबल कॉलम सरना कोड की मांग के समर्थन में विशाल मानव श्रृंखला बनाई गई। जिसमें झारखंड के सैकड़ों संगठनों और हजारों समितियों सहित गांव, टोला, मोहल्ला, कस्बा, प्रखंड व पंचायत वार्ड आदि से लाखों की संख्या में बच्चे, बड़े, बूढ़े, युवा, युवतियां एवं महिलाओं ने सड़क पर उतर कर मानव श्रृंखला के रूप में अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की।
अरविंद उराँव ने बताया कि हमारी मागों के समर्थन में झारखंड में निवास करने वाले हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध सहित सभी धर्म व संप्रदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, साथ ही भीम आर्मी दी ग्रेट कंपनी की टीम सहित भारत के अन्य राज्यों से भी इस आंदोलन को समर्थन किया गया और सभी झारखंड वासियों ने अपनी एकता का परिचय देते हुए झारखंड के आदिवासियों की संस्कृति और सभ्यता को बचाए रखने में अपना सहयोग दिया। जिसमें गुरुद्वारा सिख फेडरेशन, कैथोलिक महासभा, अंजुमन इस्लामिया, केंद्रीय सरना समिति, राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद, आदिवासी लोहरा समाज, गोंड महासभा, हो समाज, आदिवासी मूलवासी जन अधिकार मंच सहित सभी छात्र छात्राएं, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन का भी सहयोग व समर्थन रहा, जिसका हम आभार व्यक्त करते हैं।
प्रेस बयान में बताया गया कि आदिवासियों की अलग कॉलम की मांगों को लेकर झारखंड सहित देश के सभी हिस्सों से आवाजें समय समय पर उठती रही हैं।
इस आंदोलन का मुख्य रूप से नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय आदिवासी इंडिजिनियस धर्म समन्वय समिति भारत, जय आदिवासी केंद्रीय परिषद झारखंड, आदिवासी छात्र मोर्चा एवं आदिवासी छात्र संघ ने इसकी तैयारी प्रथम विधानसभा सत्र के पूर्व ही कर ली थी, जिसे लॉकडाउन की वजह से रोका गया था। अंतत: इसे लेकर पुन: संगठनों एवं समितियों के प्रतिनिधियों ने सरकार को विधानसभा सत्र से इसे अविलंब प्रभाव में लाने का प्रस्ताव बिल पर अपने मंत्रिमंडल का मुहर लगाकर केंद्र को भेजने की मांग की।
इस अभियान को सफल बनाने में अरविंद उरांव, निरंजना है, रेंज टोप्पो, हलधर चंदन पाहन, सर्जन हंसदा, अजय टोप्पो, संजय महली, संजू मिंज, एंजेला टुडे, गीता बेक, विमल उरांव, उमेश पाहन, कर्मा लिंडा, मुन्ना टोप्पो, श्रीकांत बाड़ा, सरिता उरांव, दीपराज बेदिया सहित सैकड़ों प्रतिनिधियों का अहम योगदान रहा।
बोकारो से योगो पुर्ती ने एक प्रेस बयान जारी बताय कि आदिवासियों की ट्राईबल एवं सरना काॅलम की मांग को लेकर सरना विकास समिति द्वारा बोकारो के सेक्टर 12 4—लेन स्थित सरना स्थल के समक्ष मानव श्रृंखला बनाकर एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोग एकजुट हुए और आदिवासी कॉलम नहीं, तो जनगणना नहीं का नारा बुलंद किया। कार्यक्रम का नेतृत्व विनोद उरांव ने किया। वक्ताओं ने कहा कि भारतवर्ष के तीसरी सबसे बड़ी आबादी एवं 15 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले आदिवासी जन समुदायों के ट्राईबल धर्म काॅलम व सरना धर्म काॅलम नहीं होने के कारण हमारी धर्म-आस्था, विश्वास, भाषा एवं परम्परा, संस्कृति एवं सभ्यता की मूल पहचान को नष्ट करने के लिए कई दशकों से खिलवाड़ जारी है। वक्ताओं ने बताया कि आदिवासियों की राष्ट्रीय पहचान धर्म कोड काॅलम वर्ष 1871 से 1951 तक अंकित था। जिसे स्वतंत्र भारत में राजनीतिक षड्यंत्र के तहत समाप्त कर दिया गया। वर्तमान समय में हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, फारसी, यहूदी, लिंगायत आदि अन्य धर्माें सहित अल्पसंख्यकों का धर्म काॅलम है। परंतु सिर्फ आदिवासी के धर्म काॅलम को खत्म करना उन्हें संवैधानिक एवं मौलिक हक अधिकारों से वंचित करना है। अवसर पर कहा गया कि आगामी वर्ष 2021 में पुनः भारत वर्ष में जनगणना होना है। जिसमें जनगणना से पूर्व आदिवासियों के लिए ट्राईबल धर्म काॅलम व सरना काॅलम केंद्र सरकार से लागू कराने के लिए झारखंड विधानसभा मानसून सत्र में सदन से पारित कराने के लिए सभी सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों एवं अगुवाओं ने कहा है कि हम पूरे झारखंड में विरोध प्रदर्शन करके अपने अधिकारों की आर-पार की लड़ाई लड़ेगे।
मौके पर महेश मुंडा, संजू सामंत, संजीव गागराई, मीना उरांव, शनचरिया उरांव, एल मंजु तिर्की, जगरनाथ उरांव, बलदेव उरांव, लुगु बिन्हा, शंकर उरांव, सुखदेव उरांव, ओम प्रकाश, राजदीप कुमार मुंडा आदि उपस्थित थे।