• 8 मार्च, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को याद करते हुए ऐपवा और राष्ट्रीय घरेलू कामगार सँगठन ने आज मिलकर निकाला अधिकार मार्च।
• महिला दिवस की विरासत को याद करते हुए आज महिला सँगठन ऐपवा और राष्ट्रीय घरेलू कामगार सँगठन ने आज बीएचयू गेट से रविन्द्रपुरी स्थित आंबेडकर प्रतिमा तक मार्च निकाला और सभा की।
• इस अवसर पर बीएचयू के पूर्व छात्र यौधेश ने प्रगतिशील महिला गीतों की प्रस्तुति की।• मार्च में उपस्थित महिलाओं और नागरिक समाज ने आज के दौर में संविधान की आवश्यकता और बेहतर समाज निर्माण में अंबेडकर के विचारों को याद करते हुए, उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
• मुख्य वक्ता के तौर पर मार्च का उदघाटन करते हुए मा. गां. काशी विद्यापीठ में उर्दू विभाग की पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रो. शाहिना रिज़वी ने कहा कि आज हम सभी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की विरासत को याद करने के लिए एकत्र हुए है जिसकी बुनियाद में श्रमिक महिलाएं थी जिन्होंने आज से 110 वर्ष पूर्व महिला अधिकारों के लिए लम्बा सँघर्ष किया था। रिज़वी ने कहा कि स्त्रियों की मुक्ति मज़दूर वर्ग की मुक्ति के साथ जुड़ी हुई है तो स्त्रीवाद को मज़दूर आंदोलन से जोड़ने की जरूरत है।
• सभा को संबोधित करते हुए बीएचयू की प्रो. प्रतिमा गोंड ने कहा कि आज जब हम महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे है तो बहुत जरूरी है कि हम डॉ आंबेडकर के विचारों से प्रेरणा ले जिसमे डॉ आंबेडकर राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया के तीसरे चरण में सभी कमजोर वर्ग यानी दलित, मजदूर , श्रमिक और महिला की स्वतन्त्र और स्वेछिक भागेदारी की बात की है। इसलिए आज जरूरी है कि राजनैतिक लोकतन्त्र से पहले सामाजिक लोकतन्त्र के लिए सँघर्ष चलाया जाए।
• राष्ट्रीय घरेलू कामगार सँगठन के स्टेट कॉर्डिनेटर फादर कुजूर ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते गरीब मेहनतकश महिलाओं को बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है, जिसमे घरेलू कामगार महिलाओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। इसलिए हमारी सरकार से यह मांग है कि घरेलू कामगारिन महिलाओं के लिए सम्मानजनक रोजगार की गांरन्टी के लिये विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करें।
• भारतीय जीवन बीमा निगम मंडल कार्यालय भेलूपुर से और वीडीआईए के अध्यक्ष नारायण चटर्जी ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार मुनाफा कमाने के दृष्टिकोण से जनता की गाढ़ी कमाई से बनी LIC जैसी सरकारी संस्थाओं का भी बड़े पूंजीपतियों के हाथों बेचने का मन बना रही है। उन्होंने कहा कि यदि LIC का निजीकरण होता है तो सबसे ज्यादा आधी आबादी का बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा।
• ऐपवा की जिला सचिव स्मिता बागड़े ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा किआज पूरे देश में महिलाएं अपनी न्याय और अधिकार की लड़ाई के लिए सड़कों पर हैं। उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर हिंसा, बलात्कार और हत्या के आंकड़े तेजी से बढ़ते जा रहे हैं खासतौर पर दलित महिलाओं पर हिंसा के आंकड़े में यूपी शर्मनाक ढंग से पहले पायदान पर है। मुख्यमंत्री योगी महिलाओं को सुरक्षा देने में विफल साबित हुए है इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
• सभा को सम्बोधित करते हुए ऐपवा की जिला अध्यक्ष सुतपा गुप्ता ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की विरासत को याद करने और इस दिन को मनाने का हर महिला का हक है इसलिए ऐपवा मांग करती है कि 8 मार्च को राष्ट्र्रीय अवकाश घोषित किया जाए।
कार्य्रकम में आर्य महिला डिग्री कॉलेज से प्रो. वंदना चौबे, बीएचयू से प्रो प्रमोद बागड़े, विभा वाही, सुजाता भट्टाचार्य, विभा प्रभाकर, बीएचयू आई आई टी से प्रो.असीम मुखर्जी, प्रलेस के महासचिव प्रो संजय श्रीवास्तब, डॉ नूरफतिमा, ट्रेड यूनियन लीडर वी के सिंह, वीडीआईए के अध्यक्ष नारायण चटर्जी, LIC वीडीआईए के महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका आरती श्रीवास्तव स डीएलडब्लू से कुसुम वर्मा, घरेलू कामगार सँगठन से पूनम, प्रेरणा के अतिरिक्त छात्र सँगठन बीसीएम की सचिव और बीएचयू की छात्रा आकांक्षा, अनुपम, स्टूडेंट्स फॉर चेंज से इप्शिता, बीएचयू की प्रो बिन्दा परांजपे आरवाईए के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश यादव आदि उपस्थित थे।
सभा का संचालन ऐपवा प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने किया। आइसा से प्रियांक, राजेश व प्रदेश अध्यक्ष शेलेष पासवान भी मौजूद थे।
भवदीय
कुसुम वर्मा
ऐपवा, वाराणासी
आख़िल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन,