साझा संवाद के तत्वावधान में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
इस संगोष्ठी का संचालन करती हुई पंडित पृथि नाथ कॉलेज की स्नातक की छात्रा आफरीन जहां ने कहा कि साझा संवाद निरंतर रूप से सामाजिक दाईत्वों को निदान के लिए प्रयासरत रहता है. पिछले वर्ष प्रथम लोकडौन में लगातार वेबिनार के द्वारा समाज के विभिन्न मुद्दों पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया बल्कि जमशेदपुर में एवं झारखंड और बिहार के कई क्षेत्रों में लोगों बीच राशन बाँटने एवं ऑनलाइन स्वास्थ्य कॉउंसलिंग मुहैया कराने का कार्य भी किया है.
पर्यावरण संरक्षण विषयक संगोष्ठी में वक्ता आनन्द अंजनी झा ने वैश्विक स्तर पर पर्यावरण बचाव, संवाद व व्यवसाय के सुनहरा अवसर पर अपना वक्तव्य दिया.
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता ने कहा कि पर्यावरण के क्षेत्र में युवाओं के लिये सुनहरा रोज़गार का अवसर है चाहे वो किसी भी स्तर तक का पढ़ा हो.
डेढ़ सौ वर्ष पूर्व इंग्लैंड में औधिकरण का आगाज़ हुआ और देखते ही देखते पूरे दुनिया में फैल गई. मनुष्यों को तो निश्चित सहूलियत हुआ पर इसका नुकसान सबसे अधिक पर्यावरण पड़ा.
जल, जंगल और जमीन को नुकसान से बचाने के लिए हम सबको आगे आना होगा. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में सबसे बड़ा संकट यह है कि धरती पर मानवता बचेगी कि नहीं, उसकी झलक हमें देखने को मिलने लगी है पर्यावरण संकट इसी से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि पृथ्वी का तापमान बढ़ेगा तो बहुत से जीव, जंतु, वनस्पति और फसल आने वाले समय में नहीं हो पाएंगे, भरतीय प्राचीन सभ्यता के मान बिंदुओं को आज बचाने की जरूरत पड़ रही है यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
हमें अपने समुंद्र, नदियों, तालाब, झील, झरना एवं आदि अन्य जल के स्रोत को बचाना होगा और उनको स्वच्छ रखने के लिए निरंतर कार्य करना होगा क्यों 50 प्रतिशत से अधिक का ऑक्सिजन जल सभी मिलता है एवं पृथ्वी के जीव जंतु के समूह को नियंत्रित भी करता है.
उन्होंने कहा कि आज हमारे पड़ोसी देश भूटान को देखिये वहाँ के पेड़, पौधे और जंगल ने वातावरण को स्वच्छ बनाने में अहम योगदान दिया है. उन्हें एक कार्बन न्यूट्रल देश होने का गर्व है. भूटान पर्यटन के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है इसमें स्वच्छ पर्यावरण का ही योगदान है. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर्य ऊर्जा को बढ़ावा देना होगा.
वैश्विक स्तर पर जो पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है उसके लिए सिर्फ़ मानव दोषी है पृथ्वी को माँ कहते हैं लेकिन उसकी रक्षा के लिए अपने कर्तव्यों को भूल गए हैं.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना होगा उन्होंने कहा कि परिवार के बच्चों के नाम पर पौधे लगायें. सबके छोटे छोटे प्रयास से ही हम इस धरा को सुरक्षित संरक्षित व मानव के रहने योग्य बना पायेंगे.
इस मौके पर प्रभाकर गिरिडीह, डॉ. रंजीत महली, सयैद शिबली, इश्तेयाक जौहर, बृहस्पति सरदार, प्रिया वर्मा, दीपाली टुडू, आमिर शकील ग़ाज़ी, संकेत कुमार के अलावा विभिन्न कॉलेज के अन्य छात्र छात्रा मौजूद थे.
अंत में धन्यवाद ज्ञापन भीम मार्डी ने करके संगोष्ठी का समापन किया.