“लालू यादव को पैरोल पर रिहा न करना सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश की अवमानना”

2
529

कोरोनावायरस के चलते जेलों में बंद सजायाफ्ता विचाराधीन कैदियों जिनके मामलों में 7 साल तक की सजा का प्रावधान है उन्हें पैरोल पर या व्यक्तिगत बंधपत्र पर रिहा करने हेतु माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी किया कमेटी बनाकर मामलों के निस्तारण करने हेतु कहां सभी प्रदेशों में कमेटियां बनाई गई और संबंधित जिलों में विचाराधीन व सजायाफ्ता 7 साल तक के कैदियों के संदर्भ में जिला जजों जिलाधिकारियों व जेल अधीक्षकों को पत्र लिखकर कैदियों को पैरोल पर व व्यक्तिगत बंधपत्र पर छोड़ा गया |
अब सवाल है ऐसे समय जब पूरा देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है लालू प्रसाद यादव जिस मामले में कारागार में है उसमें 7 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान नहीं तो उन्हें क्यों नहीं छोड़ा गया ? माननीय लालू प्रसाद यादव जी इस मामले में आधा से ज्यादा सजा सजा काट चुके हैं बुजुर्ग हैं बीमार हैं इलाज चल रहा है अस्पताल में भर्ती है ऐसे में अगर कोरोना वायरस नहीं भी होता तो पैरोल की जो व्यवस्था है उसके अनुसार उन्हें छोड़ देना चाहिए था लेकिन क्या लालू प्रसाद यादव के मामले में भारतीय जनता पार्टी कि केंद्र व नीतीश सरकार जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश की अवमानना कर रहे हैं।
प्रेम प्रकाश सिंह यादव एडवोकेट वाराणसी |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here