रोहित ठाकुर की कविताएंः प्रार्थना और प्रेम के बीच औरतें

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___ प्रार्थना और प्रेम के बीच औरतें ____

प्रार्थना करती औरतें
एकाग्र नहीं होती
वे लौटती है बार-बार
अपने संसार में
जहाँ वे प्रेम करती हैं
प्रार्थना में वे बहुत कुछ कहती है
उन सबके लिए
जिनके लिए बहती है
वह हवा बन कर
रसोईघर में भात की तरह
उबलते हैं उसके सपने
वह थाली में
चांद की तरह रोटी परोसती है
औरतें व्यापार करती हैं तितलियों के साथ
अपने हाथों से
रंगती है पर्यावरण
फिर औरतें झड़ती है आँसुओं की तरह
कुछ कहती नहीं
इस विश्वास में है कि
जब हम तपते रहेंगे वह झड़ेगी बारिश की तरह
एक दिन ।।

__ एक चुप रहने वाली लड़की __

साइकिल चलाती एक लड़की
झूला झूलती हुई एक लकड़ी
खिलखिला कर हँसने वाली एक लड़की
के बीच एक चुप रहने वाली लड़की होती है
जो कॅालेज जाती है
अशोक राज पथ पर सड़क किनारे की पटरियों पर कोर्स की पुरानी किताब खरीदती है
उसके चुप रहने से जन्म लेती है कहानी
उसके असफल प्रेम की
उसे उतावला कहा गया उन दिनों
वह अपने बारे में कुछ नहीं कहती
चुप रहने वाली वह लड़की
एक दिन बन जाती है पेड़
पेड़ बनना चुप रहने वाली लड़की के हिस्से में ही होता है
एक दिन पेड़ बनी हुई लड़की पर दौड़ती है गिलहरी
हँसता है पेड़ और हँसती है लड़की
टूटता है भ्रम आदमी दर आदमी
मुहल्ला दर मुहल्ला
एक चुप रहने वाली लड़की भी
जानती है हँसना ।।

___ नदी ___

पुरुष का अँधेरापन
कम करती है औरत
औरत के अँधेरेपन को
कम करता है पेड़
पेड़ के अँधेरेपन को
कम करती है आकाशगंगा
तारों का जो अँधेरापन है
उसे सोख लेती है नदी
नदी के अँधेरे को
मछली अपने आँख में टाँक लेती है
इस तरह यह विश्वास बना रहता है
अँधेरे के ख़िलाफ़
एक नदी बहती है
नदी पानी की एक चादर है
जिसे ओढ़ लिया करती है असंख्य मछलियाँ
नदी कभी लौटती नहीं है
नदी के पांव किसी ने देखा नहीं है
मेरे मुहल्ले की एक लड़की
नदी में पांव डाल कर घंटो बैठती थी
उसके पैर कमल के फूल हो गये
बारिश से भींगी नदी
इस धरती की पहली लड़की है
जिसके हाथ बहुत ठंडे थे
नदी का बचना
उस ठंडे हाथ वाली लड़की का बचना
मुश्किल है इन दिनों |

____ जीवन ______

एक साईकिल पर सवार आदमी का सिर
आकाश से टकराता है
और बारिश होती है
उसकी बेटी ऐसा ही सोचती है

वह आदमी सोचता है की उसकी बेटी के
नीले रंग की स्कूल – ड्रेस की
परछाई से
आकाश नीला दिखता है

बरतन मांजती औरत सोचती है
मजे हुए बरतन की तरह
साफ हो हर
मनुष्य का हृदय

एक चिड़िया पेड़ को अपना मानकर
सुनाती है दुख
एक सूखा पत्ता हवा में चक्कर लगाता है
इसी तरह चलता है जीवन का व्यापार ।।

___ लापता होती औरतें ___

जब औरतें लापता होती हैं
आस पास का पर्यावरण
अपनी मुलायमियत
खो देता है
औरतें लापता हो रही है
भूख से
फिर हिंसा से
औरतें लापता हो रही है
असमय मौत से
औरतें ही बचा सकती है
इस धरती पर
जो कुछ भी सुन्दर है
पर वह
विपदा में है
किसी भी देश में
जब खेतों और जंगलों को
खत्म कर दिया जाता है
वहाँ से औरतें लापता हो जाती है
जहाँ सूख जाती है नदियों और झरनों
का पानी
वहाँ से औरतें लापता हो जाती है
औरतें लापता हो जाती है
अभाव में
औरतें अभाव को अभिव्यक्त नहीं करती
और लापता हो जाती है
औरतें लापता हो रही है
क्रुर लापरवाही से |

___ एक पुराने अलबम की तस्वीरें ___

मेरे पास उपनिषदों के
सूत्र नहीं हैं
एक पुराना एलबम है
जिसमें तस्वीरों के
चेहरे साफ़ नहीं हैं
फिर भी एक सम्मोहन है
उन लोगों की तस्वीरें
जो अलबम में हैं
उनकी रौशनी
मेरे पास है
इस रौशनी के बल पर
मैं सभ्यता के
उन अँधेरे कुओं से
होकर गुज़र रहा हूँ
जहाँ छुपाकर मनुष्यों ने
रख छोड़ा है प्रेम की
सघन स्मृतियों को
मैं उन्हें अपनी कविताओं में
प्रकाशित करूँगा |

___ एकांत में उदास औरत ___

एक उदास औरत चाहती है
पानी का पर्दा
अपनी थकान पर
वह थोड़ी सी जगह चाहती है
जहाँ छुपाकर रख सके
अपनी शरारतें
वह फूलों का मरहम
लगाना चाहती है
सनातन घावों पर
वह सूती साड़ी के लिए चाहती है कलप
और
पति के लिए नौकरी
बारिश से पहले वह
बदलना चाहती थी कमरा
जाड़े में बेटी के लिए बुनना
चाहती है ऊनी स्कार्फ
बुनियादी तौर पर वह चाहती है
थोड़ी देर के लिए
हवा में संगीत |

___ प्रकाश ___

विज्ञान में
प्रकाश तय करता है दूरी
जीवन में
प्रकाश पैदा करता है उल्लास
निपट अंधेरे में
प्रकाश जगाता है विश्वास
कविता में
प्रकाश को सुरक्षित रख सकता है आदमी |

___ बनारस ____

समय का कुछ हिस्सा
मेरे शहर में रह जायेगा
इस तरफ
नदी के
जब मेरी रेलगाड़ी
लाँघती रहेगी गंगा को
और हम लाँघते रहेंगे
समय की चौखट को
अपनी जीवन यात्रा के दौरान
अपनी जेब में
धूप के टुकड़े को रख कर
शहर – दर – शहर
बनारस
यह शहर ही मेरा खेमा है अगले कुछ दिनों के लिये
इस शहर को जिसे कोई समेट नहीं सका
इस शहर के समानांतर
कोई कविता ही गुजर सकती है
बशर्ते उस कविता को कोई मल्लाह अपनी नाव पर
ढ़ोता रहे घाटों के किनारे
मनुष्य की तरह कविता भी यात्रा में होती है ।।

रोहित ठाकुर

नाम रोहित रंजन ठाकुर

जन्म तिथि – 06/12/ 1978

शैक्षणिक योग्यता – परा-स्नातक राजनीति विज्ञान

विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं हंस , आजकल , वागर्थ , इन्द्रप्रस्थ भारती , बया, दोआब , परिकथा , मधुमती , आदि में कविताएँ प्रकाशित ।
मराठी, पंजाबी में कविताओं का अनुवाद प्रकाशित ।
कविता कोश , भारत कोश तथा लगभग 40 ब्लॉगों पर कविताएँ प्रकाशित ।
हिन्दुस्तान , प्रभात खबर , अमर उजाला आदि समाचार पत्रों में कविताएँ प्रकाशित ।
विभिन्न कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ

वृत्ति – शिक्षक

रुचि : – हिन्दी-अंग्रेजी साहित्य अध्ययन

पत्राचार :- C/O – श्री अरुण कुमार , सौदागर पथ,
काली मंदिर रोड , हनुमान नगर , कंकड़बाग़ ,
पटना , बिहार , पिन कोड – 800026

मोबाइल नंबर- 9570352164

ई-मेल – rrtpatna1@gmail.com

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