उदास होने पर बाहर निकलें, फुहारा स्नान करें, डायरी लिखें, चौका घाट से लाकर मछली पकाएं, विटामिन की गोली खाएं, मित्र से मिलें, टहलें, कुछ नया करने की कोशिश करें, अपना ध्यान बँटाएं, जोर-जोर से रोएं, अपनी पसंदीदा फिल्म देखें, अतीतानुरागी बनें, किसी को गले लगाएं, छोटे-मोटे काम निपटाएं,जो मन को भाए वह कपड़ा पहनें, कॉमेडी देखें, अपनी अनुभूतियों को प्रकट करें।
अब आते है्ं बेहद खुशी वाले बिंदु पर जिसे हाइपोमेनिया कहते हैंः कम बोलें, दूसरों की सुनें, अपनी दवाएं न छोड़ें, चाय-काफी ज्यादा न पिएं, सोने-आराम करने की कोशिश करें, बड़े निर्णय लेने के लिए प्रतीक्षा करें, सोच-समझकर खर्च करें, कोशिश करें कि गुस्सा काबू में रहे, बोलने से पहले सोचें, बहुत सख्त कार्यक्रम न बनाएं, अपनी ऊर्जा को उत्पादक कामों में लगाएं, जोर-जोर से सांस लें, खरीदारी करने का काम बच्चों को सौंप दें, दारू-गाँजे से परहेज करें, कोई स्थाई निर्णय न लें।