“भगत सिंह के सपनों का भारत बनाना अभी बाकी है”
90 वर्ष पहले आज ही के दिन 23 मार्च1931 को देश के तीन महान सपूतों ने शहीद ए आज़म भगत सिंह,सुखदेव, राजगुरु को ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने फांसी के तख्ते पर लटका दिया था।उनकी शहादत पर भगत सिंह शहादत दिवस आयोजन समिति, आज़मगढ़ के तत्वावधान में कुँअर सिंह उद्द्यान से जुलूस निकालकर, कलेक्टरेट होते हुए रैदोपुर स्थित भगत सिंह प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
जुलूस में शहीद भगत सिंह,सुखदेव, राजगुरु अमर रहे, इंकलाब जिंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद,तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लो, सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद करो,देशी विदेशी कंपनियों का शोषण बंद करो,श्रम कानूनो में मजदूर विरोधी संसोधन बंद करो,भगत सिंह तू जिंदा है-हर एक लहू के कतरे में।आदि नारे लगाए गए।
वक्ताओं ने कहा कि भगत सिंह और उनके क्रांतिकारी संगठन HSRA का विचार था कि जब तक मानव द्वारा मानव का शोषण और राष्ट्र द्वारा राष्ट्र का शोषण बंद नहीं हो जाता तब तक आज़ादी का असली मकसद पूरा नही होगा।आज आज़ादी के 73 वर्ष बाद देश मे आंदोलनों की बाढ़ सी आ गयी है,कारण ये है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुनाफे के लिए किसानों, मजदूरों, कर्मचारियों और सभी मेहनतकशों के हक हुकूक छीने जा रहे हैं।आर्थिक रूप से देश की बहुत बड़ी आबादी गंभीर संकट से गुजर रही है।दिल्ली के बार्डरों पर लाखों किसान मजदूर कर्मचारी आंदोलन के लिए बाध्य हैं।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में कंपनी राज के वर्चस्व और लूट बढ़ाने की सरकार की नीतियों की घोर निंदा की गई । हमें भगत सिंह के नारे इन्कलाब जिंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद को आगे बढाना है।
गोष्ठी और जुलूस में डॉ रवींद्र नाथ राय, दुखहरन राम,रामराज, सूबेदार यादव,मोतीराम यादव, राजेन्द्र प्रजापति,संदीप, अवधेश, रामाश्रय यादव,मुकेश, उत्तम, दान बहादुर मौर्य, तेज बहादुर,अनिल मौर्य, श्रेय, प्रिंस,अनिकेत,अजीत अमन आदि लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दुखहरन राम और संचालन प्रशान्त ने किया।
डॉ रवींद्र नाथ राय
9451830515