बहुत कड़वी सच्चाई बता रहा हूँ। आज लॉक डाउन हुए 25 दिन पूरे हुए अगर सामाजिक/धार्मिक संगठन ,विपक्षी पार्टियां और अन्य नागरिक समाज अगर राहत कार्य के लिए कमर ना कसती या ये लोग आगे राहत कार्य के मदत के लिए असमर्थ होंजाये तो शासन प्रशास के हाथ पांव फूल जाए ऐसा क्यों होगा ये जनता।अच्छे से जानती है कि कौन लोग है जो उनके बीच राहत सामग्री लेके पहुँच रहे हैं अकेले बनारस में ही तमाम समाजिक राजनैतिक धर्मिक संगठन एवं अन्य नागरिक समाज ने अनुमानतः लगभग दो लाख परिवारों तक राहत कार्य पहुंचाने का कार्य किया है और इसके अलावा स्वास्थ विभाग,पुलिष प्रशासन,सफाईकर्मी एवम अन्य कोरोना महामारी के खिलाफ अपनी सेवाएं देरहे उन लोगो को भी इन्ही नागरिक समाज ने कुछ ना कुछ अपना सहयोग किया है।
तो इससे ही पूरे देश का अंदाज़ा लगाया जा सकता है भारत के करोड़ो परिवारों तक पहुँचने वाले कौन लोग है। वो तो अच्छा है कि नागरिक समाज मेडिकेटेड मास्क, हैंडगलब्स,कोरोना टेस्ट किट, वेंटिलेटर, डॉक्टर, नर्स आदि आदि नही बनाती अन्यथा सरकार जनता से थाली ताली दिया जलवा के नागरिक समाज के जिमेदारी पर ही देश को छोड़ दी होती।। खैर पिछले दो दिनों से मैं विजन संस्थान की प्रमुख जागृति राही जी चोलापुर हरहुआ ब्लॉक में वहां के सथियो से बात करने और अन्य राहत सामग्री के जरूरतमंदों की जानकारी लेने गए वहां के ग्रामीणों ने बताया कि किसानों मजदूरों को सरकार ने 1 हज़ार रुपये देने का वादा किया लेकिन कुछ एक को छोड़कर किसी के खतम नही आया पैसा यही नही मनरेगा मजदूरों का भी हाल येही है अप्रैल माह का पहला सप्ताल बीत जाने के बाद भी अभी तक मनरेगा मजदूरों के खाते में एक रुपया तक नहींआया है।ऐसे में गरीब कैसे अपनी जीविका चलाये और अपने पशुओं को पाले राशन की दुकानों पर भी जैसे कि शासन प्रशासन का ऐलान हुआ कि दो महीने का अनाज दिया जाएगा जिसमे एक महीने का मुफ़त मिलेगा लेकिन इस घोषणा का भी कोई पालन नही हो सका। येही हाल शहरी गरीबो का भी है असल जरूरतमन्दो तक राहत सामग्री पहुँच पाने में कठनाई आरही है।।उसपर भी प्रशासन का आज 8अप्रैल प्रशासन का ऐलान अख़बार मे निकला हैंकि अब सामाजिक संगठन के लोग खुद से अनाज नही बाटेंगे प्रशासन अपनी वैन भेजेगी जिसे अनाज देना हो प्रशासन को देदे प्रशासन खुद जनता में राशन बाटेगी।। मलतब चंदा नागरिक समाज इकट्ठा कर राशन नागरिक समाज इकट्ठा करे पैकिंग भी नागरिक समाज करे और बाटेगी प्रशासन?? इसका साफ मतलब है कि प्रशासन के पास खुद का पर्याप्त राशन नही है उसकी नज़रे अब नागरिक समाज के राहत सामग्रियों पर है दिखावा ये है कि नागरिक समाज के लोग शोशल डिस्टेंस का ख्याल नही रख रहे हैं जिससे कि कोरोना फैलने की संभावनाएं बढ़ रही हैं।। जो कि प्रशासन का गलत निर्णय साबित होगा । अतः हम नागरिक समाज का प्रशासन से अपील होगी कि नागरिक समाज को भले ही सिमित लोगो को जाने का परमिशन दें या जो भी नागरिक समाज राहत कार्य पहुंचाने का कार्य कर रहा है उन्हें पर्याप्त किट के साथ जाने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए ताकि जनता और शासन प्रशासन के बीच मध्यस्ता कायम रहे। धन्यवाद।।
डॉ. अनूप श्रमिक “सयोजक” रिदम मंच,9956031010