1)*आम्बेडकर*
आम्बेडकर
एक दीप्तमान शब्द है,
एक वर्ग की पहचान है;
आम्बेडकर
त्रिसूत्र है-
समता, स्वतंत्रता और बन्धुत्व;
आम्बेडकर
नई दुनिया का संविधान है,
सिंबल ऑफ नॉलेज है;
आम्बेडकर
मानवता का धर्म है,
सील, समाधि और प्रज्ञा है;
आम्बेडकर
त्रिशरण है
पंचशील है
अष्टांगिक मार्ग है;
आम्बेडकर
बिना क्रान्ति समाजवाद है;
आम्बेडकर
वर्गविहीनता है,
आम्बेडकर
आम्बेडकरवाद है
जातिप्रथा-उन्मूलन-
गैर-बराबरी, छुआ-छूत और उँच-नीच का लोप;
आम्बेडकर
दलितों, शोषितों, उत्पीड़ितों की आवाज़ है
मजलूमों की अस्मिता है
परिवर्तन की महत्वाकांक्षा है।
24.04.2020
2) *नीली मूर्ति*
तुम उस मूर्ति की कल्पना करो
जो गढ़हे में है
जिसके बगल कूड़े का ढ़ेर है
जहाँ सुअर अपने बच्चों के साथ डुहकते हैं,
मूर्ति का वह हाथ गायब है
जिसकी अँगुली संसद की तरफ इशारा करती है
वह किताब तोड़ दी गई है
जिस पर तुम्हें नाज़ है;
मूर्ति नीली है
चश्मा गोल है
टाई का रंग लाल अब भी दिख रहा है;
दो तरह के लोग हैं,
दो तरह के विचार हैं,
वह कहता है
सुअर के औलाद
इतने बड़े आदमी की बेज्जती करवाते हैं
क्या जरूरत थी
गढ़हे में मूर्ति लगवाने की
कूड़े की गंध
और सुअर की चाभ
न कोई सुरक्षा न कोई सफाई
लेकिन, मैंने प्रबुद्ध लोगों को कहते सुना है
यह देखो गढ़हे में पहाड़ उग रहा है
देखो! देखो! कूड़े के ढ़ेर से कोई टाई वाला लुभा रहा है
उसका नीला शान्ति से
उसकी उँगली संसद पर
कब्ज़ा का संकेत दे रहे हैं
संसद अपना तो संविधान अपना;
जरूर इसी को कीचड़ में कमल कहते हैं,
यह तमाम पाखण्डों का नकार है
और, उनके छल-छद्मों का प्रतिकार भी है,
यह परिवर्तन का संकेत तो है ही
यह युद्ध का ललकार भी है।
26.09.2020
3) *लाल टाई*
लाल टाई! लाल टाई!
लाल टाई क्या है
लाल टाई एक प्रतिमान है
डॉ. भीम राव आम्बेडकर की अवचेतना है
जब वे कहते हैं
प्रज्ञा, करुणा, शील
तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं
कि कोई मारता रहे और तुम सहते रहो
लाल टाई संकेत है अंतिम उपाय का
कि तुम उसका गला पकड़ लो
जातिप्रथा उन्मूलन बोलता है
वे हर परिस्थितियों में युद्ध से मना करते हैं
लेकिन आखिरी उपाय तो
लाल टाई की तरह ही चमकता है
कि अंततः तुम्हें डायनामाइट लगाना ही पड़ेगा
डायनामाइट ब्लॉस्ट का रंग लाल है
लाल टाई विदेशी है और
स्वदेशियों के ज़ुल्म के विरुद्ध एक हंटर भी,
पूना पैक्ट की करुणा सापेक्षिक है
गरीब, निरक्षर और भूमिहीन
सब दलित हैं
सब शोषित है
इन्हीं की झोपड़ियाँ जलतीं
इन्हीं का खून बहता
लेकिन उस समय भी
लाल टाई एक सौगंध है
ज़ुल्म की दास्तां के विरुद्ध
खून से सने कफ़न की तरह
हर जुल्म का बदला हम लेंगे
करुणा के नव्य सागर ने
लाल टाई धारण कर रखा है
लाल टाई क्रान्ति का संकेत है
संकेत ही अंतिम विकल्प है।
26.09.2020
4) *अहिंसा और आम्बेडकर*
हे भारत रत्न डॉ. भीमराव!
आप बुद्धिष्ट हैं
हिंसा वर्जित किया है
चित्त परिवर्तन को उपाय बताया है
लेकिन आएदिन जाति के कारण
हमारी हत्याएँ हो रही हैं
क्या अहिंसा से
अब भी ऐसी हिंसा रोकी जा सकती है
विज्ञान के युग में भी
जब कोई कहता है
वह श्रेष्ठ है
वह उँच है
हमें अछूत कहता है
यही नहीं घृणा भी करता है
उठने-बैठने से लेकर सभी क्रियाओं में
हमारा निरादर करता है
तो मुझे लगता है
उनको कूट दिया जाना चाहिए
उनको सह लेना अधर्म है
आप का दर्शन एक आदर्श है
अब उससे काम नहीं चलेगा
आप ने कहा है
स्वतंत्रता बड़ी चीज है
सर्वहारा तक की तानाशाही को मना कर दिया है
हे बाबा साहब डॉ. आम्बेडकर!
इनका चित्त
न परिवर्तित हुआ है
न परिवर्तित होगा
ये अहिंसावादी नहीं है
सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की भावना
इनमें कदापि नहीं है
सदियाँ बीत गईं
आप ने तो खूब पढ़ा है
फिर भी साहब आप ने
हमें नैतिकता के संकट में फँसा दिया
बस, बुद्ध और आप की
एक चीज समझ में आई है
जरूरत पड़ने पर भी हत्या न करना धर्म नहीं है
इसलिए, हम सब भूलकर
यही सोचते हैं
कि कुरीतियों को बदल देने के लिए
उसके पोषकों पर दया नहीं की जानी चाहिए
शांति को स्थापित करने के लिए युद्ध करना पड़ेगा
अहिंसावादियों के खौफ़ से
आतंकवादियों में डर पैदा होना चाहिए
छुआछूत करने वालों के दिलों में
अछूतों का डर बैठ जाना चाहिए
सर्वजन हिताय के दर्शन को स्थाई बनाने के लिए
बहुजन की तानाशाही नितांत आवश्यक है।
01.08.2020
5) *आम्बेडकर का प्रतिबिम्ब*
डॉ. आम्बेडकर मिलते हैं
मुझे मेरी किताबों में;
वे अक्षरों में मिलते हैं
शब्दों में मिलते है
और, वाक्यों में मिलते हैं,
कहते हैं शिक्षित बनो
प्रज्ञा ही आँख है
प्रज्ञा ही पैर है
प्रज्ञा ही हाथ है
प्रज्ञा के बिना मुक्ति नहीं मिलेगी
वे हर दरवाजों पर मिलते हैं
गाँव-गाँव में मिलते हैं
और, भीड़ में मिलते हैं
कहते हैं संगठित हो
देश के शूद्रों एक हो
देश के दलितों एक हो
सारे आदिवासी एक हो
बिना संगठित हुए उत्पीड़न बन्द नहीं होगा
वे हरवाही में मिलते हैं
बिरवाही में मिलते हैं
और, बेगारी में मिलते हैं
कहते हैं संघर्ष करो
जमीनों के लिए संघर्ष करो
कारखानों के लिए संघर्ष करो
सत्ता में भागीदारी के लिए संघर्ष करो
बिना संघर्ष किए प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा
डॉ. आम्बेडकर का प्रतिरूप राजनीति है
राजकीय समाजवाद के साथ संसदीय लोकतंत्र
बिना हिंसा बिना तानाशाही के
डॉ. आम्बेडकर का प्रतिरूप विज्ञान है
वैज्ञानिक सत्य के अतिरिक्त सब छद्म है
तर्क की कसौटी पर जरूर कसो
डॉ. आम्बेडकर का प्रतिरूप दर्शन है
छलछद्म के विरुद्ध बुद्ध सत्य हैं
करुणा, प्रज्ञा और शील सभी विकारों का उपाय
डॉ. आम्बेडकर का प्रतिरूप स्प्रिच्युअल है
धर्म का केंद्र ईश्वर नहीं, मनुष्य हो
धर्म जीवन का रास्ता है
सम्प्रदाय को धर्म कहना अनुचित है
आवश्यकता से अधिक रखना चोरी है
और दूसरों को दुख देना है
संपत्ति का व्यक्तिगत मालिकाना खत्म करो
आष्टांगिक मार्ग ही उचित रास्ता है।
14.08.2020
6) *जय भीम से टूटे ज़िंदाने*
सुन आजादी के दीवाने
करता क्या है रे परवाने
क्या देश अभी आजाद हुआ है
दलितों के क्या है पैमाने…….
दो वोट का था अधिकार तुम्हें
आरक्षित कर छीना उसने
पूना में अपमान हुआ है
ऐसे हैं तेरे अफसाने……….
तेरा मशीहा रोया था
सचमुच उसने कुछ खोया था
तेरा ही नुकसान हुआ है
दलितों के ही थे हकनामे……
लोकतंत्र अच्छा विधान है
राष्ट्रीयकरण का संविधान है
निजी संपत्ति का लोप हुआ है
ऐसे उसमें हैं कारनामे……..
जातिवाद का द्वेष यहाँ
छुआछूत का रोग यहाँ
ब्राह्मणवादी वर्चस्व हुआ है
तेरे कितने हैं और ठिकाने…..
जय भीम तेरा दर्शन भी है
जय भीम तेरा दर्पण भी है
जय भीम तेरा हर साँस हुआ है
जय भीम से टूटे ज़िंदाने…..।
14.08.2020
7) *धर्मयुद्ध में आम्बेडकर*
डॉ. आम्बेडकर को
हम बाबा साहब कहते हैं
उनके कोट उनकी टाई का मतलब है
आधुनिक बनो
उनके नीले और लाल का भी अर्थ है
शान्ति और क्रान्ति
अहिंसा तब तक जायज़ है
जब तक वह अन्याय न करे
अकारण हिंसा उचित नहीं
मानवता की रक्षा हेतु की गई हिंसा
हिंसा नहीं है
आवश्यकता से अधिक धन संचय करना
दूसरों को दुख देना है
आम्बेडकर का अर्थ है लोकतंत्र
और, लोकतंत्र का क्या अर्थ है
लोकतंत्र का अर्थ है
समता, स्वतंत्रता और बन्धुत्व का
सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक तत्वों में सम्मिश्रम
आम्बेडकर वर्चस्ववाद उन्मूलन रसायन हैं
आम्बेडकर पूँजीवाद के विरुद्ध समाजवाद हैं
आम्बेडकर अधर्म के विरुद्ध धर्म हैं
आम्बेडकर नए महाभारत में धर्मार्थ सारथी हैं
भारतभूमि में आम्बेडकर कहते हैं
जातिप्रथा कुचक्र है
ऊँचनीच छल है
छुआछूत अन्याय है
भेदभाव धोखा है
और, यह सब हमें
उत्पादन
और, संसाधनों से
महरूम करने के लिए
रचा गया विधान है
ईश्वर, आत्मा, पुनर्जन्म, परारब्ध
उनके झाँसे हैं
पाप और पुण्य भय की कला है
युद्ध भूमि में वे हमें
कभी राक्षस कभी दानव
कभी दैत्य कभी सूद कहकर
जनमत अपनी तरह कर लेते हैं
कभी हमारे सींग कभी हमारे पूँछ
कभी कुरूप कभी बड़ी-बड़ी मूँछे
जनमानस को बताकर
उन्हें हमारे खिलाफ खड़ा करते हैं
सारी कहानियों में
हमें खलनायक सिद्ध करते हैं
हमें चरित्रहीन दिखाते हैं
हमें निर्दयी बताते हैं
हमें स्त्री विरोधी चित्रित करते हैं
खुद छल करेंगे
और हमें छली प्रचारित करते हैं
जो वे कहते हैं
ठीक उसका उलटा करते हैं
आम्बेडकर महान ने सावधान किया है
कि वे हमारे विरुद्ध दिन-रात गलत प्रचार करते हैं
कि वे हमारे विरुद्ध दिन-रात झूठ बोलते हैं
कि उनकी वाणी में हर महानता की बात होती है
कि हर उस महानता में भातृघाती छलछद्म निहित होता है।
15.08.2020
8) *युद्धभूमि में आम्बेडकर*
बाबा साहब ने कहा
सावधान!
इस बार
युद्धभूमि से पहले
युद्धभूमि में
युद्ध प्रारम्भ से पूर्व
युद्ध के समयांतर
युद्ध समाप्ति के बाद
चाहे सुबह हो
चाहे शाम
चाहे दिन हो
चाहे रात
उनके धोखे से सावधान रहना है
उनके धर्म का अर्थ
धर्म नहीं है
उनके धर्म का अर्थ
उनका वर्चस्व है
उनका कोई सर्वशक्तिमान नहीं है
उनका ईश्वर
उनकी मति है
धर्मयुद्ध तो यह है
कि सभी मनुष्य समान हैं
कि सभी मनुष्यों को समुचित जीने का अधिकार है
न कोई उँच है
न कोई नीच है
धन-धरती पर सब का बराबर हक़ है
जो इस दर्शन को नकारे
वह बहुत बड़ा चोर है
चोर को धर्मयुद्ध में
सजा मिलनी ही चाहिए।
15.08.2020
आर डी आनंद
L-1316, आवास विकास कॉलोनी,
बेनीगंज, फैज़ाबाद-अयोध्या-224001.
मो.9451203713
मो.8887749686