हमारा मोर्चा प्रतिनिधि
आज जब पूरा देश कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन झेल रहा है। ऐसी स्थिति में कोई कार्यक्रम सम्भव नहीं हो पाने के कारण 14 अप्रैल को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में भगतसिंह छात्र मोर्चा की ओर से आनंद तेलतुंबडे एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मुद्दे को लेकर “The Real Followers of Ambedkar and their arrestings. Why?” विषय पर एक ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया।
जिस तरह से ये सरकार सच्चे अम्बेडकर के अनुयायियों को गिरफ्तार करके जेल में डाल रही और दूसरी तरफ अम्बेडकर जयंती पर झूठी शुभकामनाएं दे रही ये सभी राजनीतिक पार्टियों का असली चरित्र बताता है। बसपा और तमाम तथाकथित दलित पार्टियों व नेताओं ने जिस तरह से प्रो. तेलतुंबड़े के गिरफ्तारी पर चुप्पी साध के बैठे हैं, ये इनके असली एजेंडे की पोल खोल देता है। इनका मकसद केवल चुनाव जीतने तक ही सीमित है। सामाजिक राजनीतिक बदलाव से इनका कोई सरोकार नहीं है। अगर हम सच्चे अर्थों में बाबा साहेब के सपनों को पूरा करना चाहते हैं तो हमें जाति-विहीन समाज बनाने के लिए संघर्षो में उतरना होगा। भारतीय समाज में कोई भी वास्तविक व ज़मीनी बदलाव सिर्फ संविधान के दायरे में लड़ कर नहीं लाई जा सकती है। क्योंकि यह व्यवस्था खुद उसी ब्राह्मणवादी जातिवादी मूल्यों पर आधारित है। सभी ने कहा की बाबा साहेब को सिर्फ़ संविधान तक सीमित करके देखना उनकी क्षमताओं, कामों व सपनों को कम करके आंकना होगा। आज के समय में आनन्द तेलतुंबड़े और गौतम नवलखा की गिरफ्तारी देश के लिए शर्म का विषय है। इसके साथ -साथ सभी ने प्रो. जी. एन. साईंबाबा, सुधा भारद्वाज, शोमा सेन, वर्णन गोनज़ल्वेज, सुधीर धवले, वरवर राव, रोना विल्सन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, हेम मिश्रा, प्रशांत राही समेत सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग की और एक समतावादी,न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए लगातार संघर्षरत रहने का संकल्प भी लिया।
इस कार्यक्रम का संचालन भगतसिंह छात्र मोर्चा के सचिव अनुपम ने किया। इस दौरान बीएचयू के प्रो. प्रमोद बागडे, बनारस ऐपवा से कुसुम वर्मा और स्मिता बागड़े, ओड़िसा से अंकित साहीर, महाराष्ट्र से शुभम, गुजरात से धीरज, बीएचयू के शोध छात्र सुरेश, वैशाली(बिहार) से वरूनलाल, मुजफ्फपुर(बिहार) से आयुषी आदि ने संबंधित विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए तथा स्मिता बागडे व शुभम द्वारा जातिव्यवस्था को खत्म करने पर आधारित जन गीतों की प्रस्तुती दी। सभी लोगों ने एक स्वर में प्रो आनंद तेलतुंबड़े और गौतम नवलखा की इस फासीवादी सरकार द्वारा की जा रही गिरफ्तारी का विरोध किया।